________________ She avrain Aradhana Kendra mmm.kobatrm.org Acharya Shri Kaliassaga suyanmandir तथा च / नदीकूले विष्णुगेहे निर्जने पर्वते वने / / एकाग्रचित्रमाशय साधयेत्साधनं महत्॥९॥ महाशैलं समुत्पाट्य धावंतं रावणं प्रति॥ तिष्ठतिष्ठरण दष्ट घोरं गवं समच्चरन् / लाक्षारसारुणं गात्रं कालान्तकयनोपमम् // मलदमिनने सूर्यकोटिसमप्रभम् // अंगदा। धर्महावीरवष्टितं रुद्ररूपिणम् // 10 // एवंरूपं हतृमंतं ध्यात्वा यः प्रजन्मनुम् // लक्षजपालातः स्यत्सत्यं ते कथितं मया॥ 11 // ध्यानकमात्रतः पुंसां मिद्धिरेव न संशयः॥ प्रातः सात्वा नदीतीरे उपविश्यकुशासन // 12 // प्राणायामं पडंगश्च मूलेन सकलं चरेत् / / पुष्पांजल्यष्टकं दत्त्वा ध्यात्वा रामं समीतकम् // 13 // ताम्रपात्रे ततः पद्ममपत्र मकेसरम // रक्तचन्दनघृष्टेन लिखेत्तस्य शलाकया // 14 // कर्णिकायां लिग्वेन्मंत्रं तत्राबाह्य कपिप्रभुम् // कर्णिकायां हनूमंतं ध्यात्वा पायादिकं ततः // 15 // गंधप्पादिकं चैव निवेद्य मूलमंत्रतः // सुग्रीवं लक्ष्मणं चैव चाङ्गन्दं नलनीलकम् // 16 // जाम्बवंतं च कुमुदं के परिणं बलेदले // पूर्वादिकमतो देवि पूजयेद्धचन्दनैः // 17 // पवनश्चांजनश्चैव पूजयेदावामतः।। दलायेषु कपियोपि पुजाअन्य कं ततः // १८॥ध्यात्वा तु मंत्रराज विलक्षं यावत्तु साधकः // लक्षात दिवसं प्राप्य कुर्याच पूजनं महत् // 19 // एकाग्रचित्तानसा तस्मिन्पवननंदने / दिवारात्री जपं कुर्य्याद्यावत्संदर्शनं भवेत् // 20 // सुदृढ़ साधकं मत्वा निशीथे पवनात्मजः // मुत्रसन्नस्ततो भूत्वा प्रयाति साधकाग्रतः // 21 // यथेप्सितं वरं दत्वा साधकाय कपिप्रभुः // वरं लम्चा साधकेन्द्रो विहरेदात्मनः सुखैः // 22 // एतद्धि साधनं पुण्यं देवानामपि दुर्लभम् // तव स्नेहान्मयाख्यातं भक्कासि मयि पार्वति // 23 // इति श्रीगारुडे तंत्रे देवीश्वरमंगादे द्वादशाक्षरहनुमत्कल्पं समाप्तम् // प्रसन्न हो साधकके समीप आते हैं // 21 // तहां हनुमानजी साधकको अभिलषित वर दते हैं / साधक वरकी प्राप्त हो सुखपूर्वक विहार करता हे // 22 // यह परम पुण्यका देनेवाला साधन देवताओं को भी दुर्लभ है / हे देवि तुम मेरी भक्ता हो इस कारण तुम्हारे स्नेहके वशीभूत हो प्रकाश करा है // 23 // पद्द गारुडी तंत्र में लिखा हुआ पार्वती महादेवका सम्बाद है // इति // For Private And Personal Use Only