________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir 30-REMI- दिशः प्रकल्प्य प्राचीक्रमेण दक्षिणावर्तेन च ॐ रामभक्ताय नमः // / // ॐ महातेजसे नमः // 2 // ॐ कपिराजाय नमः // 3 // ॐ महाबलाय नमः॥४॥ॐ द्रोणादिहरकाय नमः॥ 5 // ॐ मेरुपीठाचनकारकाय नमः // 6 // ॐ दक्षिणाशाभास्कराय नमः // // 7 // ॐ सर्वविघ्ननिवारकाय नमः // 8 // इति संपूज्य पुष्पांजलिं च दद्यात् // इति द्वितीयावरणम् // 2 // ततोऽष्टकोणाग्रेषु प्राचीक्रमेण / ॐ सुग्रीवाय नमः // 1 // ॐ अंगदाय नमः // 2 // ॐ नालाय नमः // 3 // ॐ जाम्बवते नमः // 4 // ॐ नलाय नमः // 5 // ॐ मुपणाय नमः // 6 // ॐ द्विविदाय नमः // 7 // ॐ मयंदाय नमः // 8 // इति संपूज्य पुष्पांजलिं च दद्यात // इति तृतीयावरणम् // 3 // ततो भपुरे पूर्वादिक्रमेण इन्द्रादिदशदिक्पालान बजाद्यायुधानि च मंपृज्य पुष्पांजलिं दद्यात्॥ इत्यावरणपूजां कत्या सादिनस्कारांतं संपूज्य जपं कुर्यात // अस्य पुरश्चरणमयुतजपाः / तद्दशांशतो होमः / एवंकते मंत्रः सिद्धो / भवति। मिद्धे च मंत्र मंत्री प्रयोगान साधयेत् / तथा च / "अयतं प्रजपेन्मन्त्रं दशांश जहयातिलैः। जितेंद्रियो नक्तमोजी प्रत्यहं साष्टका शतम् // 3 // जपित्या क्षुद्ररोगत्यो मुच्यते दिवसत्रयात // // भूतप्रेतपिशाचादिनाशाय समाचरेत् // महारोगनिवृत्त्यै तु महलं प्रत्यहं जपेत // 2 // एकाशनोऽयुतं नित्यं जपन्ध्यायन्कपीश्वरम् // राक्षसौ विनिम्नतमचिराजयति द्विषम् // 3 // सुग्रीवेण / समं रामं संदधानं स्मरन्कपिम् / / प्रजप्यायुतमेतस्य संधि कुर्याविरुद्धयोः // 4 // लंका दहतं तं ध्यायनयुतं प्रजपेन्मनुम् // शत्रूणां प्रदहे यामानचिरादेव साधकः // 5 // प्रयाणसमये ध्यायन हनमंतं मर्नु जपन // यो याति मोचिरावष्टं माधयि वा गृहं भजेत् // 6 // यः कपीशं सदा गेहे पूजयेजपतत्परः // आयुर्लक्षम्यो प्रवर्द्धते तस्य नश्यत्युपद्रवाः // 7 // शार्दू लतस्करादियो रक्षेन्मनुस्यं स्मृतः // प्रस्थापकाले चोरेन्यो दुष्टस्वभादपि ध्रुवम् // 8 // इत्यष्टादशाक्षरहनुमन्मंत्रप्रयोगः // -- - For Private And Personal Use Only