________________ Acharya Shri Kalassag www.kobatm.org Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra y armandir शस्तिमिरापहः॥ मनोहरवपुः शुन्नः शोभनः सुप्रभाननः॥ 108 // सुप्रभः सुप्रभाकारः सुनेत्रोनिक्षुभापतिः // राज्ञीप्रियः शब्दकरो पू० सं०१ यहेशस्तिमिरापहः // 109 // सैहिकेयरिपुर्देवोवरदोवरनायकः // चतुर्भुजोमहायोगीयोगीश्वरपतिस्तथा // 110 // अनादिरूमू-तं. पोदितिजोरत्नकांतिः प्रभामयः // जगत्प्रदीपोविस्तीर्णोमहाविस्तीर्णमण्डलः // 111 // एकचक्ररथः स्वर्णरथः स्वर्णशरीरधृक् // तरं०८ निरालंबोगगनगोधर्मकर्मप्रभावकत // 110 // धर्मात्माकर्मणांसाक्षीप्रत्यक्षः परमेश्वरः // मेरुसेवीसुमेधावीमेरुरक्षाकरोमहान्॥११३॥ आधारभृतोरतिमांस्तथाचधनधान्यकृत् // पापसंतापसंहर्तामनोवांछितदायकः // 114 // रोगहाराज्यदायीरमणीयगुणोनृणी // कालत्रयानंतरूपोमनिवृंदनमस्कृतः॥ 15 // संध्यारागकरः सिद्धः संध्यावंदनवंदितः // साम्राज्यदाननिरतः समाराधनतोषवान // // 16 // भक्तदःखक्षयकोभवमागरतारकः // भयापहताभगवानप्रमेयपराक्रमः॥ मनुस्वामीमनृपतिर्मान्योमन्वंतराधिपः // 117 // एतने सर्वमाख्यातं यन्मां त्वं परिपृच्छसि // नाम्नां सहस्रं सवितुः पाराशयों यदाह मे // 118 // धन्यं यशस्यमायुष्यंदुष्टदुःस्वमना / शनम् // बंधमोनकरं चैवभानो मानुकीर्तनम् / / 115 // यस्त्विदंशृणुयान्नित्यंपठित्वाप्रयतोनरः / / अक्षयसुखमन्नायंभवेत्तस्यो पसाधितम् // 120 // नृपानितस्करभयंव्याधियोनभयंभवेत् // विजयीचभवेन्नित्यश्रेयश्चपरमामुयात // 121 / / कीर्ति मान सुभगोविद्वान्ससुखीप्रियदर्शनः // भवेद्वर्षशतायुश्चसर्वव्याधिविवर्जितः // 122 / / नाम्नां सहस्रमिदमंशुमतः पठेद्यः प्रातः शुचिनियमवान सुसमाधियुक्तः // द्वारेणतंपरिहरंतिमदेवरोगाभीतास्मुपर्णमिवसर्वमहोरगेन्दाः / / 123 // इति श्रीभविष्यपुराणे // 2 // मनमकल्पे अगवतः श्रीसूर्यस्य नान्मां सहस्रं समानम् / / इति श्रीमंत्रमहार्णवे पूर्वखण्डे श्रीसूर्य्यतंत्रेऽष्टमस्तरंगः // 8 // इति मू० त०॥ For Private And Personal Use Only