________________ Shri Mahir Jain Aradhana Kendra Acharya Shei Katassagasul Gyanmandir मं०म०त्रिशूलाय नमः // 8 // ॐ पं पद्माय नमः // 9 // ॐ चं चक्राय नमः // 10 // इत्यवाणि पूजयेत् // इत्यावरणपूजां कृत्वा धृपादिपू० ख०१ नीराजनांतं संपूज्य जपं कुर्यात् / / अस्य पुरश्चरणं दशलक्षजपः // दशसहस्रहोमः // तनदशांशेन तर्पणमार्जनब्राह्मणभोजनं च मू० तं० कुर्यात् // एवंकते मंत्रः सिद्धो भवति / सिद्धे च मंत्र मंत्री प्रयोगान साधयेत् / तथा च / “दशलक्षं जपेन्मंत्रं समिद्भिः क्षीरशा / तरं० 8 खिनाम् // तत्सहस्रं प्रजुहुयात्क्षीराक्ताभिजितेंद्रियः॥ 3 // एवं संपूज्य विधिवद्धास्करं भक्तवत्सलम् // दद्यादयं प्रतिदिनं वारे वा तस्य चोदिते // 2 // अथार्यविधानम् // प्रभात मंडलं कृत्वा पूर्ववत्पीठमर्चयेत् // पात्रं ताम्रमयं प्रस्थतोयग्राहि मनोरमम् // 3 // विधाय तत्र मनना पुरयेनच्छुभोदकैः // कुंकुम रोचनं राजीरक्तचंदनवैणवान् // 4 // करवीरजपाशालीकुशश्यामाकतंडुलान् // निक्षिपेत्सलिले तस्मिन्नैक्यं संकल्प्य भानुना // 5 // सांगमभ्यर्चयेत्तस्मिन्भास्करं प्रोक्तलक्षणम् / / गंधपुष्पादिनैवेद्यैर्यथाविधि विधानवित // 6 // तद्विधाय जपेन्मंत्रं सम्यगष्टोनरं शतम् / / पुनः भंपूज्य गंधाद्यैर्जानुन्यामवनीं गतः // 7 // आमस्तकं तदुद्धृत्य व्योनि साव करणे खौ / / दृष्टिं विधाय स्वैकेन मूलमंत्र धिया जपन् / // 8 // दद्यादयं दिनेशाय प्रसन्नेनांतरात्मना॥ कृत्या पुष्पांजलिं भूयो जपेदष्टो , नरं शतम् / / 9 / / यावदर्घामृतं भानुः समादने निजैः करैः / / तेन तृमो दिनमणिर्दद्यात्तस्मै मनोरथान् / / 10 / / अर्घदानमिदं पुंसा! मायुरारोग्यवर्द्धनम् // धनधान्यपशुक्षेत्रपुत्रमित्रकलत्रदम् // 11 // तेजोवीर्ययशःकांतिविद्याविभवभाग्यदम् / / गायत्र्युपासनाशक्तः संध्यावंदनतत्परः।। दशवर्ण जपन्विषो नैव दुःखमवानुयात् // 12 // इति सूर्यदशाक्षरमंत्रप्रयोगः // इति सूर्यपटलं समानम् || // अथ सूर्यपद्धतिप्रारंभः // पूर्वकत्यं कृत्वा पुरश्चरणदिवसे बाले मुहूर्त चोत्थाय प्रातःस्मरणं कुर्यात् / अथ सूर्यप्रातःस्मरणम् / ॐ // 191 / / For Private And Personal Use Only