________________ Shri Mahir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shet Kalassagasun yanmandir मं०म० // 16 // वि० सं० H यदं वह्नि वमंतं भजे // 3 // सौभ्ये सौम्यं स्मरेत्कायें क्रूरे क्रूमिमं भजेत् // श्रीपुष्टयै जुहयान्मंत्री बिल्वकाष्टधितनले // 4 // सहस्रं श्रियगामोति पत्रैर्वा बिल्वसंभवैः // प्रसून; फलैस्तद्दद्दाहोमादरोगताम् // 5 // मंत्रजमां बचा श्वेतां भक्षयेत्यातरन्बहम् // वाक् सिद्धिं लभते मंत्री वाचस्पतिरिवापरः॥६॥ व्याघचौरमृगादियो महारण्ये भयाकुललान् ॥रक्षेन्मनुरयं जप्तो भयेष्वन्येषु मंत्रिणः // 7 // अनेन मंत्रितं भस्म विषग्रहमहाभयान // नाशयेदचिरादेवं मंत्रस्यास्य प्रभावतः // 8 // घोराभिचारे सोन्मादे महोत्पाते महाभये // जपेन्मंत्रं स्मरन्देवं दुःखान्मुक्तो भवेन्नरः // 9 सिंहरूपं महाभीमं महादंष्ट्रादिभीषणम् // स्मृत्वात्मानं रिपुं पश्चाद्ध्यायेन्मृगशिशु रिपुम् 0 // गृहीत्वा गलदेशे तं पुनर्दिक्षु क्षिपेद्रुतम् // पुत्रमित्रकलत्राद्यैरुच्चाटो जायते रिपोः // 11 // पूर्वमृत्युपदे साध्यनाम कृत्वा स्वयं हरिः // निशितैर्नखदंष्ट्रायः खंड्यमानं रिपुं स्मरन् / / 12 // नित्यमष्टोत्तरशतं जपेन्मंत्रमतंद्रितः // जायते मंडलादर्वाक् शत्रु वैवस्वतप्रियः॥१३॥ यंत्रं करोति विधिवच्छत्रुसेनानिवारणे॥ विभीतकाष्टैचलिते पावके रिपुमर्दनम्॥१४॥विचिंत्य देवं नृहरिं संपूज्य || कुसुमादिभिः // समूलचूलजुहुयाच्छरैर्दशशतं पृथक् / / 15 // रिपुं खादन्निव जपेन्निभिंदन्निव तान्क्षिपेत // हुत्वा समदिनं सेना मिष्टां मंत्री महीपतेः // 16 // प्रस्थापयेच्छुभे लग्ने परराष्ट्रजयेच्छया // तस्याः पुरास्ताबृहरि निघ्नंतं रिपुमण्डलम् // 17 // ध्यात्वा प्रयोगं कुर्वीत यावदायाति सा पुनः // विजित्य निखिलाशत्रून् सह वीर श्रिया सुखम् // 18 // आगत्य विजयी राजा ग्रामक्षेत्रधनादिभिः॥ प्रीणयेन्मंत्रिणं सम्यग् विभवैः प्रीतमानसः // 19 // मंत्री यदि न संतृष्येदनर्थः स्यान्महीपतेः // राजा विजयमामोति युद्धेषु विधिनामुना // इति नृसिंहस्य द्वात्रिंशदक्षरात्मकमंत्रप्रयोगः // 1 // श्रीः // इति विष्णुपटलः समाप्तः // For Private And Personal Use Only