________________ Shri Maharjan Aradhana Kendra Acharya Shri Kalassagasun Gyanmandir प्र 162 // सं नमः तालके // 7 // ॐ रं नमः कंठे॥८॥ ॐ पं नमः बाहुद्दये॥९॥ॐ तं नमः पृष्ठे॥१०॥ॐ ये नमः हृदये // 11 // ॐ मं नमःबापू० खं. 1 उदरे // 12 // ॐ हाँ नमः नाभौ // 13 // ॐ बं नमः गुह्ये / / 34 // ॐ लाँ नमः ऊरुद्ये // 15 // ॐ यं नमः जानुद्वये वित // 16 // ॐ स्वां नमः जंघयोः // 17 // ॐ हाँ नमः पादयोः // 18 // इति मंत्रवर्णन्यासः // एवं न्यासं कृत्वा ध्यायेत् // अथ तरं०७ ध्यानम्॥ॐ मुक्तागौरं नवमणिलसद्भूषणं चंद्रसंस्थं भुंगाकारैरलकनिकरैः शोभिवक्रारबिंदम्॥ हस्ताब्जाश्यां कनककलशं शुद्धतोयाभिपूर्णत दध्यन्नाढ्यं कनकचषकं धारयंतं भजामः // 1 // इति ध्यायेत् // ततः पीठादौ रचिते सर्वतोभद्रमण्डले ॐ में मंडूकादिचन्द्रमण्डलांत पीठदेवताभ्यो नमः / इति पीठदेवताः संपूज्य नव पीठशक्तीः पूजयेत्। तद्यथा / पूर्वादिक्रमेण / ॐ विमलायै नमः॥१॥ ॐ उत्कपिण्यै | नमः // 2 // ॐ ज्ञानायै नमः // 3 // ॐ क्रियायै नमः॥४॥ ॐ योगायै नमः॥५॥ ॐ प्रहयै नमः॥६॥ॐ सत्यायै नमः॥७॥ ॐ ईशानायै नमः // 8 // मध्ये ॐ अनुग्रहायै नमः // 9 // इति पूजयेत् // ततः स्वर्णादिनिर्मित यंत्रं मति वा ताम्रपात्र निधाय ! घृतेनात्यज्य तदुपरि दुग्धधारां जलधारां च दत्त्वा स्वच्छवस्त्रेण संशोष्य " ॐ नमो भगवते दधिवामनाय सर्वभूतात्मने वासुदेवाय सर्वा त्मसंयोगपद्मपीठात्मने नमः // " इति मंत्रेण पुष्पाद्यासनं दत्त्वा पीठमध्ये संस्थाप्य प्रतिष्ठां च कत्या पुनर्व्यात्वा मूलेन मूर्ति प्रकल्प्य आवाहनादिपुष्पांतैरुपचारैः संपूज्य देवाज्ञया आवरणपूजां कुर्यात् // तद्यथा / पुष्पांजलिमादाय ॐ संविन्मयः परो देवः परामृतरस प्रिय // अनुज्ञां देहि मे देव पारीवारार्चनाय मे // 1 // इति पठित्वा पुष्पांजलिं च दत्त्वा आवरणपूजामारभेत् // षट्कोणकेसरेषु आने प्यादिचतुर्दिक्षु मध्ये दिक्षु च ॐ हृदयाय नमः हृदयश्रीपादुकां पूजयामि तर्पयामि नमः / इति सर्वत्र // 1 // नमः शिरसे स्वाहाँ / // 162 For Private And Personal Use Only