________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir दामोदराय नमः / दामोदरश्रीपा० // 12 // इति द्वादश मूर्तीः पूजयित्वा पुष्पांजलिं च दद्यात् इति तृतीयावरणम् // 3 // ततो भपुरे पूर्वादिक्रमेण इन्दादिदशदिक्पालान वज्राद्यायुधानि च पूजयित्वा पुष्पांजलिं च दद्यात् // इत्यावरणपूजां कत्वा धृपादि नमस्का रांतं संपूज्य जपं कुर्यात् / अस्य पुरश्चरणं चतुर्दशलक्षजपः / तत्सहस्रण होमः तत्तदशांशेन तर्पणमार्जनब्राह्मणभोजनं च कर्यात् / एवं| कृते मंत्रः सिद्धो भवति / सिद्धे च मंत्र मंत्री प्रयोगान साधयेत् / तथा च / वर्णलक्षं जपेदेनं तत्सहस्र सरोरुहैः॥होमं कुर्याद्विकसितैर्मधुर त्रयसंयुतैः // 1 // पायसेन कतो होमो लक्ष्मीवश्यप्रदायकः / / मधुराक्तैस्तिलैर्तुत्वा सर्वकार्याणि साधयेत् // 2 // इति चतुर्दशाक्षर लक्ष्मीनारायणमंत्रप्रयोगः // अथ दधिवामनाख्यचमत्कारिमंत्रप्रयोगः // मंत्रो यथा (शारदातिलके) “ॐ नमो विष्णवे सुरपतये महा बलाय स्वाहा" इत्यष्टादशाक्षरो मंत्रः // अस्य विधानम् // अस्य मंत्रस्य इन्दुक्रषिविराट्छंदो दधिवामनो देवता सर्वेष्टसिद्धये जपे विनि योगः॥ ॐ इन्दु ऋषये नमः शिरसि // 1 // विराट्छंदसे नमः मुखे // 2 // दधिवामनदेवतायै नमः हृदि // 3 // विनियोगाय नमः सर्वांगे॥४॥ इति ऋष्यादिन्यासः // ॐ अंगुष्ठात्यां नमः // 1 // नमो तर्जनीभ्यां नमः॥२॥ विष्णवे मध्यमाभ्यां नमः // 3 // सुरपतये / अनामिकाभ्यां नमः // 4 // महाबलाय कनिष्ठिकाभ्यां नमः // 5 // स्वाहा करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः // 6 // इति करन्यासः // ॐ हृदयाय नमः॥ 1 // नमः शिरसे स्वाहा // 2 // विष्णवे शिखायै वषट् // 3 // सुरपतये कवचाय हुँ // 4 // महाबलाय नेत्रत्रयाय वौषट् // 5 // स्वाहा अस्त्राय फट् // 6 // इति हृदयादिषडंगन्यासः // ॐ नमः मूर्द्धि // 3 // ॐ नं नमः भाले॥२॥ ॐ मो नमः नेत्रयोः // 3 // ॐ विं नमः कर्णयोः // 4 // ॐ ष्णं नमः नासिकयोः॥ 5 // ॐ 3 नमः ओष्ठयोः // 6 // ॐ For Private And Personal Use Only