________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsur Gyanmandir मं.माजप . // 15 // अथ मृत्युञ्जयकवचप्रारंभः॥ भैरव उवाच // शृणुष्वपरमेशानि कवचं मन्मुखोदितम् / / महामृत्युंजयस्यास्य न देयं परमा तम् // // 1 // यं धृत्वा यं पठित्वा च यं श्रुत्वा कवचोत्तमम् // त्रैलोक्याधिपतिर्भूत्वा सुखितोऽस्मि महेश्वरि // 2 // तदेव वर्णयिष्यामि तब प्रीत्यावरानने। तथापि परमं तत्त्वं न दातव्यं दुरात्मने॥३॥ॐ अस्य श्रीमहामृत्युंजयकवचस्य श्रीभैरवऋषि। गायत्रीछंदः। श्रीमृत्युंजय / रुद्रो देवता / ॐ बीजम् / जुं शक्तिः / सः कीलकम् / हौं इति तत्त्वम् / चतुर्वर्गफलसाधने पाठे विनियोगः // ॐ चन्द्रमंडल मध्यस्थे रुद्रमाले विचित्रिते // तत्रस्थं चिंतयेत्साध्यं मृत्युं प्रातोपि जीवति // 4 // ॐ जूं सः हौं शिरः पातु देवो मृत्युंजयो मम // नाश्रीशिवो वै ललाटं च ॐ हौं भुवी सदाशिवः // 5 // नीलकंठोऽवतान्नेत्रे कपी मेऽवताच्छ्रती // त्रिलोचनोऽवतां गण्डौ नासां मे। त्रिपुरांतकः // 6 // मुखं पीयूषघटभृदोष्ठौ मे कृत्तिकाम्बरः // हनुं मे हाटकेशानो मुखं वटुकभैरवः // 7 // कंधरां कालमथनो गलं गणप्रियोऽवतु // स्कंधौ स्कंदपिता पातु हस्तौ मे गिरिशोऽवतु // 8 // नखान्मे गिरिजानाथः पायादंगुलिसंयुतान् // स्तनौ तारापतिः / पातु वक्षः पशुपतिर्मम // 9 // कुक्षिं कुबेरवदनः पार्थों मे मारशासनः // शर्वः पातु तथा नाभिं शूली पृष्ठं ममाऽवतु // 10 // शिश्नं मे शंकरः पातु गुह्यं गुह्यकवल्लभः // कटिं कालांतकः पायादूरु मेंधकघातकः // 13 // जागरूकोऽवताजानू जंधे मे काल भैरवः // गुल्फो पायाजटाधारी पादौ मृत्युंजयोऽवतु // 12 // पादादिमूर्द्धपर्यंत सद्योजातो ममावतु // रक्षाहीनं नामहीनं वपुः पात्वमृते 5 श्वरः // 13 // पूर्व बलविकरणो दक्षिणे कालशासनः // पश्चिमे पार्वतीनाथ उत्तरे मां मनोन्मनः // 14 // ऐशान्यामीश्वरः पाया / दाग्नेय्यामग्निलोचनः // नैर्ऋत्यां शंभुरव्यान्मां वायव्यां वायुवाहनः // 15 // ऊर्च बलप्रमथनः पाताले परमेश्वरः // दशदिक्षु दास // 15 // For Private And Personal Use Only