________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatm.org Acharya Shri Kalassagasun Gyanmandir म. म. हतीबिल्वयोः पत्रैनैवेद्यं गुडमर्पयेत् // एवं मासत्रयं कुर्वन्ननल्पं लभते धनम् // 6 // एकादशैव लिंगानि गोमयोत्थानि यो यजेत् // खं० 1 प्रातमध्याह्नयोः सायं निशीथे प्रतिवासरम् // 7 // स सर्वाः सम्पदो यायात् षण्मासादेवमाचरन् // एकादश यजेन्नित्यं शालिपिष्ट // 13 // मयानि सः॥ 8 // लिंगानि मासमात्रेण स कल्मषचयं दहेत् // स्फाटिक पूजितं लिंगमेनोनिकरनाशनः // 9 // सर्वकामप्रदं पुंसा तरं. 6 KIमुदुंबरसमुद्भवम् // रेवाश्मजं सर्वसिद्धिप्रदं दुःखविनाशनम् // 10 // यथाकथंचिल्लिंगस्य पूजा नित्यकतेष्टदा // यो यजेत्पिचुमंदोत्थैः। पत्रैगोमयजं शिवम्॥११॥क्रुद्धं महेश्वरं ध्यायेत्स पराजयते रिपून॥यो लिंगं पूजयेन्नित्यं शिवभक्तिपरायणः॥१२॥मेरुतुल्योपि तस्याश पापराशिलयं व्रजेत्॥दोग्धीणां तु गवां लक्षं यो दद्याद्वेदपाठिने // 13 // पार्थिवं योर्चयेल्लिंगं तयोज़िगार्चको वरः॥चतुर्दश्यां तथाष्टम्या पौर्णमास्यां विधुक्षये॥१४॥पयसा स्नापयेल्लिंगं घरादानफलं व्रजेत॥ लिंगपूजां विधायाने स्तोत्रं या शतरुद्रियम् // 15 // प्रजपेत्तन्मना) भूत्वा शिवे स्वं विनिवेदयेत् // यन्संख्याकं यजेल्लिंगं तन्मितं होममाचरेत् ॥१६॥आज्यान्वितौस्तिलैरमौ घृतैर्वा पायसेन वा // शिवमंत्रण तस्यांत ब्राह्मणान् भोजयेच्छतम् // १७॥एवं कृते समस्तेष्टसिद्धिर्भवति निश्चितम् // 18 // इति पार्थिवलिंगपूजनविधानम् // इति शिवपटल : 2 Niसमाप्तः // अथ शिवपूजापद्धतिप्रारम्भः // तत्रादौ मंत्रानुष्ठानोपयोगि पूर्वकत्यम् // चन्द्रतारादिबलान्विते सुदिने भुमुहूर्ते तीर्थपुण्य नक्षत्रनिर्जनस्थानादावनुष्ठानयोग्यभूमिपरिग्रहणं हत्वा तत्र मार्जनदहनखननसंप्लावनादिभिः स्मृत्युक्तः शोधनोपायैः शुद्धिं संपाद्य जप स्थानस्य चतुर्दिक्षु कोशं कोशद्वयं वा क्षेत्रं चतुरसमाहारविहारार्थ पारिकल्प्य जपस्थानभमौ कुर्मशोधनं कुर्यात्॥ततः पुरश्चरणात्या तृतीयदिवसे क्षौरादिकं विधाय ततः प्रायश्चित्तांगभूतविष्णुपूजाविष्णुतर्पणविष्णुश्राई होमं चांद्रायणादिवतं च कुर्यात् / व्रताशक्तौ / १-भटकटैया / 2 पापसमूहनाशनः / 3 'ॐ नमः शिवाय' इति मंत्रण होमयेत् / For Private And Personal Use Only