________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir म. मशीदक्षिणामूर्ति ध्यायन्साधकसत्तमः / / शास्वव्याख्यानसामर्थ्य लभते वत्सरांतरे / / 5 // ब्राह्मीसेंधवसिद्धार्थवचाकोष्ठकणोत्पलैः // सुगंपू० खं. 1 घिसंयुतैः कल्कैः शृतं ब्राह्मीरसे घृतम् // 6 // मनुनानेन संजनमयुतं साधु साधितम् // निपीतं कविताकांतिरक्षायुःश्रीधृतिप्रदम् // 7 // शितं. इति षट्त्रिंशदक्षरदक्षिणामूर्तिमंत्रप्रयोगः // अथ द्वाविंशत्यक्षरदाक्षिणामूर्तिमंत्रप्रयोगः // (शारदातिलके ) // मंत्रो यथा / "ॐ तरं० 6 नमो भगवते दक्षिणामूर्तये मह्य मेधां प्रयच्छ स्वाहा // " इति द्वाविंशत्यक्षरो मंत्रः // अस्य दक्षिणामूर्तिमंत्रस्य चतुर्मुख ऋषिः। गायत्री छन्दः / वेदव्याख्यानतत्परदक्षिणामूर्तिर्देवता / सर्वेष्टसिद्धये जपे विनियोगः // ॐ चतुर्मुखर्षये नमः शिरसि // 1 // गायत्रीछन्दसे नमः मुखे // 2 // दक्षिणामूर्तये देवतायै नमः हृदि // 3 // विनियोगाय नमः सर्वांगे // 4 // इति हृदयादिन्यासः // ॐ आं ॐ अंगु घटायां नमः // ॐ ईॐ तर्जनीभ्यां नमः // 2 // ॐ ॐ ॐ मध्यमाभ्यां नमः // 3 // ॐ ॐ अनामिकाभ्यां नमः॥ 4 // Halॐ औं ॐ कनिष्ठिकान्यां नमः // 5 // ॐ अः ॐ करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः॥६॥इति करन्यासः॥ ॐ आंॐ हृदयाय नमः॥३॥ ॐ ई ॐ शिरसे स्वाहा // 2 // ॐ ॐ ॐ शिखायै वषट् // 3 // ॐ ऐं ॐ कवचाय हूं // 4 // ॐ औं ॐ नेत्रत्रयाय वौषट् / // 5 // ॐ अः ॐ अवाय फट् // 6 // इति हृदयादिषडंगन्यासः // इति न्यासविधिं कृत्वा पूर्ववत् वमूलस्थं मंत्रदेवतं संचित्य | ध्यायेत् // स्फटिकरजतवर्ण मौक्तिकीमक्षमालाममृतकलशविद्याज्ञानमुद्राः करानैः // दधतमुरगकक्षं चन्द्रचूडं त्रिनेत्रं विधृतविविध धभूषं दक्षिणामूर्तिमीडे॥३॥ इति ध्यात्वा शिवपंचाक्षरोदिते पीठे पीठपूजा विधाय आवरणपूजां कुर्यात् / तत्र क्रमः। षट्कोणकेशरेषु // 135 // अग्निकोणे ॐ आं ॐ हृदयाय नमः॥१॥ नैर्ऋते ॐ ई ॐ शिरसे स्वाहा // 2 // वायव्ये ॐ ॐ शिखायै वषट् // 3 // ॐ 1 यथा-ताररुद्वैस्स्वरदधिःषभिरंगानि कल्पयेत् / अथवा मन्दसंभूतः पदैर्वा काल्पयेत्रमात / For Private And Personal Use Only