________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ध इति मंत्रवर्णन्यासः // ॐ ह्रीं दक्षिणामूर्तये तुल्यं बटमलनिवासिने // ध्यानकनिरतांगाय नमो रुद्राय शंभवे ह्रीं ॐ इति मंत्रेण मूर्धादि पादपर्यंतं व्यापकं न्यासं कुर्यात् / इति न्यासविधिं कृत्वा ध्यायेत्॥ॐ हिमाचलतटे रम्ये सिद्धकिन्नरसेविते॥ विविधमशाखाभिः सर्वतो वारितातपे // 1 // सुपुष्पितैलताजालराश्लिष्टकुसुमद्रुमैः // शिलाविवरनिर्गच्छन्निईरानिलसेविते // 2 // गाय गांगनासंघ नृत्यद साहिकदंबके // कूजत्कोकिलसंघेन मुखरीकतदिङ्मुखे॥३॥ परस्परविनिर्मुक्तमात्सर्यमृगसेविते // आद्यैः शुका निभिरजस्रं समधिष्ठित ध। // 4 // पुरंदरमुखदेवैः सेवायातैविलोकितम् // वटवृक्षं महोच्छ्रायं पद्मरागफलोज्ज्वलम् // 5 // गारुत्मतनयः पवैर्निबिरुपशो भितम् // नवरत्नमयाकल्पैर्लबमानरलंकृतम् // 6 // सजलैः स्थलजैः पुष्पैरामोदिमिरलकतम् // शृण्वदिशा आणि शुकबृन्दैनिक वितम् // 7 // संसारतापविच्छेदकुशलच्छायमद्भुतम् // विचिंत्य तस्य मूलस्थे रत्नसिंहासने शुभे // 8 // आतीनममिताकल्पं शर चंद्रनिभाननम् // स्तूयमानं मुनिगणैर्दिव्यज्ञानाभिलाषिभिः // 9 // संस्मरेजगतामायं दक्षिणामूर्तिमव्ययम् // 30 // कैलासादिनिभं की शशांकशकलस्फूर्जज्जटामंडितं नासालोकनतत्परं त्रिनयनं वीरासनाध्यासितम् // मुद्राटककुरंगजानुविलसत्पाणिं प्रसन्नाननं कक्षाबद्धभुज गमं मुनिवृतं वंदे महेशं परम् ॥३१॥इति ध्यात्वा शिवपंचाक्षरोदिते पीठे पीठपूजां विधाय तामेव आवरणपूजां च कृत्वा जपं कुर्यात् / / अस्य पुरश्चरणमयुतद्वयाधिकं त्रिलक्षं जपः। तथा च / अयुतव्यसंयुक्तं गुणलक्षं जपेन्मनुम् // तद्दशांशं तिलेः शुद्धर्जुहुयात्क्षीरसंयुतैः॥१॥ पंचाक्षरोदिते पीठे विधानेन प्रपूजयेत् / उपचारैः समुत्पन्नैः पाद्याद्यैः परमेश्वरम् ॥२॥एवं कृतपुरश्चर्यः सिद्धमन्त्रो भवेत्सुधीः॥भिक्षाहा / रो जपेन्मासं मनुमेनं जितेंद्रियः // 3 // नित्यं सहस्रमष्टाई परं विंदति वाङ्मयम्॥त्रिवारं जप्तमेतेन मनुना सलिलं पिबेत्॥४॥नित्यशो For Private And Personal Use Only