________________ Shri Maharan Aradhana Kendra www.kabatm.org Acharya Shri Kalassagersuri Gyanmandir म . यातेअग्ने० 7 इमंयमः० 8 इत्यष्टावृचः पठित्वा आत्मानं रुद्ररूपं ध्यायेत // अथ ध्यानम् // कैलासाचलसन्निनं त्रिनयनं पंचास्य पू० ख० // मंबायुतं नीलग्रीवमहीशभूषणधरं व्याघत्वचा प्रावृतम् // अक्षम्रग्बरकुंडिकानयकरं चांदी कलां बिनतं गंगांभोविलसन्नटं दशभुजं वैदेशित. महेशं परम् // 1 // इति ध्यान्या लिंगतोभद्रमंडले सर्वतोभद्रमंडले वा स्वस्वे स्थाने मंड्रकादिपरतत्त्वांतपीठदेवता आवाह्य ॐ में मंड़ तर कादिपरतत्त्वांतपीठदेवताभ्यो नमः इति पीठदेवताः संपूज्य पीठशक्तीः पूजयेत् // तत्र क्रमः / पूर्वादिषु ॐ वामायै नमः॥१॥ ॐ ज्येष्ठायै नमः // 2 // ॐ रौद्यै नमः॥ 3 // ॐ काल्यै नमः // 4 // ॐ कलविकारण्यै नमः // 5 // ॐ बलविकरिण्यै नमः // 6 // ॐ बलप्रमथिन्यै नमः॥ 7 // ॐ सर्वभूतदमन्यै नमः॥ 8 // पीठमध्ये। ॐ मनोन्मन्यै नमः // 9 // इति नव पीठशकीः पूजयेत् / / ततः। स्वर्णादिनिर्मित यंत्रमग्न्युत्तारणपूर्वकं ॐ नमो भगवते सकलगुणात्मशक्तियुक्तायाऽनंताय योगपीठात्मने / नमः / इति मंत्रण पुष्पाद्यासनं दत्वा पीठमध्ये संस्थाप्य प्राणप्रतिष्ठां च कृत्वा पुनात्वा मूलेन मूर्ति प्रकल्य पायादिपुष्पांत रुपचारैः / / पद्धतिमार्गेण संपूज्य देवाज्ञां गृहीत्वा आवरणपूजां कुर्यात / पुष्पांजलिमादाय ॐ मंचिन्मयः परो देव परामृतरसप्रिय // अनुज्ञां रुद्र मे देहि परिवारार्चनाय मे // // इति पठित्वा पुष्पांजलि च दत्या आवरणपूजामारभेत / तत्र क्रमः / पश्चिमादिचतुर्दिक्षु क्रमेण / १-प्रणम्य जगतामीशमुमादेहार्द्धधारिणम् // यत्रोद्धारमहं वक्ष्ये रुद्रकल्पानसारतः // मध्ये वृत्तं समाटिख्य तन्मध्ये च दशाक्षरम् // बहिरष्टदलं पद्मं ततः पो डशपत्रकम् // चतुर्विशतिपत्राढय द्वात्रिंशत्पत्रकं तथा // चत्वारिंशत्पत्रकं तु वृत्तं सूर्यसमप्रभम् // पंचपद्मात्मकं वृत्तं चतुरस्त्रं च भूगृहम् / / सत्वरजस्तमश्चति || त्रिगुणैः परितो वृतम्॥ चतुद्वारं द्वारदेशे बहिर्नागसमावतम् // रुद्रपाठमिति ख्यातं देवतास्तत्र विन्यसेत् // चत्वारिंशवछतं चैक देवतानामुदाहतम् // कर्णिकामध्यदेशे तु रुद्रं पंचास्थमालिखेत् // // 12 For Private And Personal Use Only