________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir Iॐ ब्रायै नमः।बालीश्रीपा०॥॥ॐ माहेश्वर्य नमः / माहेश्वरीश्रीपा० // 2 // ॐ कौमाय नमः / कौमारीश्रीपा० // 3 // ॐ वैष्णव्यै नमः। वैष्णवीश्रीपा० ॥४॥ॐ वाराह्मै नमः / वाराहीश्रीपा० // 5 // ॐ इन्द्राण्यै नमः / इन्द्राणीश्रीपा० // 6 // ॐ चामुंडाय नमः / चामुंडाश्रीपा० // 7 // ॐ महालक्ष्म्यै नमः / महालक्ष्मीश्रीपा० // 8 // इत्यष्टौ पूजयित्वा पुष्पांजलिं चब दद्यात / / इति दशमावरणम् // तद्वाह्ये भूपरे पूर्वादिक्रमेण इन्द्रादिदशदिक्पालान वायायुधानि च पूजयित्वा पुष्पांजलिं दद्यात् / / इत्यावरणपूजां कृत्वा धपादिनमस्कारांत संपूज्य कतांजलिः प्रार्थयेत् / ॐ मृत्युंजय महारुद्र त्राहि मां शरणागतम्॥जन्ममृत्युजरारोगः पीडितं कर्मबंधनैः / / 1 // तावकस्त्वगतप्राणस्त्वच्चित्तोहं सदा मृड / / इति विज्ञाप्य देवेशं जपेन्मृत्यंजयं परम् // 2 // इति संप्राय जपं / कात / अस्य पुरश्चरणमेकलक्षजपः / जपति दशांशतो दशद्रव्यहाँमः। होमदशांशेन मंत्रांते ॐ मृत्युंजयं तर्पयामीत्युक्त्वा दुग्धमिश्रित जलेन तर्पयेत / ततस्तर्पणदशांशेन मंत्रांत आत्मानमभिषिचामि नमः / इति यजमानमूर्धन्यभिषेकः होमतर्पणाभिषेकाशक्ती तत्स्थाने तनद्विगुणो जाः कार्यः / ततोभिषेकदशांशतोऽष्टोत्तरशतसंख्यातो वा बाह्मणभोजनं कुर्यात् / एवं कृते मंत्र सिद्धो भवति / सिद्धे च मंत्र मंत्री प्रयोगान साधयेत् / तथा च / जपेन्मंत्रमिमं लक्षमेवं ध्यायञ्जितेन्द्रियः // दशद्रव्यैः प्रजुहुयानानि विफलं तिलाः॥१॥ पायस सर्पपादुग्धं दधि दुर्वा च सप्तमी // वटात्पलाशात्खदिरात्समिधो मधुरप्लुताः // 2 // एवंकते प्रयोगाही जायतेयं महामनुः // जन्मभ || दशमे तस्मात्पुनश्चैकोनविंशके // 3 // जुहुयायः सुधावल्याः समिधश्चतुरंगुलाः // स रोगान सकलाशत्रन पराभूय श्रिया युतः॥४॥ मोदते पुत्रपौत्रायः शतवर्षाणि साधकः // समिद्भिः श्रीफलोत्थाभिहामः संपत्तिमिद्धये // 5 // पलाशतरुजाभिस्तु ब्रह्मवर्चमसिद्धये // For Private And Personal Use Only