________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir అమలు మన मुं नमः वामपादे / / 27 // ॐ हौँ ॐ जूंसः भर्भुवःस्वः क्षीं नमः दक्षकरे // 28 // ॐ हा ॐ जूंसः भूर्भुवःस्वः यं नमः वामकरे // 29 // ॐ हाँ जुसः भर्भुवःस्वः मां नमः दक्षनासायाम् // 30 // ॐ है| ॐ जॅमः भूर्भुवः स्वः म॒ नमः वामनासायाम // 31 // ॐ हौं ॐ जूंसः भर्भवःस्वः तान्नमः मूर्ति // 32 // इति मंत्रवर्णन्यासः / / ॐ हौं ॐजूमः भूर्भुवःस्वः त्र्यंबकं नमः शिरसि | // 1 // ॐ हौं ॐ जूंसः भूर्भुवःस्वः यजामहे नुनोः // 2 // ॐ हौं ॐ जंसः भूर्भुवःस्वः सुगंधि नेत्रयोः // 3 // ॐ हौं ॐ जुसः भूर्भुवःस्वः पुष्टिवर्धनं मुखे // 4 // ॐ हौं ॐ जूंमः भूर्भवः स्वः उर्वारुकं गंडयोः // 5 // ॐ हौं ॐ जूंगः भूर्भुवःस्वः इव हृदये॥६॥ ॐ हौं ॐ अंमः भूर्भुवःस्वः बंधनात जठरे // 7 // ॐ हौं ॐ जुसः भूर्भुवः स्वः मृत्योः लिंगे // 8 // ॐ हौं ॐ जनः भूर्भुवःस्वः मुक्षी| काय ऊर्वोः // 9 // ॐ हीं ॐ जूंमः भूर्भुवःस्वः मा जान्योः // 10 // ॐ हौं ॐजुसः भूर्भुवःस्वः अमृतात् पादयोः // 11 // इति पद न्यासः // एवं न्यासं कृत्वा ध्यायेत् / “हस्तांभोजयुगस्थकंमयुगलादुद्धृत्य तोयं शिरः सिंचतं करयोगेन दधतं स्वांके सकुंभौ करौ॥al अक्षम्रङ्मृगहस्तमंचुजगतं मूर्द्धस्थचन्द्रस्रवत्पीयूषोन्नतनं भजे सगिरिजं मृत्युंजयं त्र्यंबकम् // " इति / ततः पीठादौ रचिते सर्वतो थे भद्रमण्डले लिंगतोभद्रमण्डले वा ॐ मं मंडुकादिपरतत्त्वांतपीठदेवताायो नमः इति पीठदेवताः संपूज्य नव पीठशक्तीः पूजयेत् / / तद्यथा / पूर्वादिक्रमेण / ॐ वामायै नमः // 1 // ॐ ज्येष्ठायै नमः // 2 // ॐ रोयै नमः // 3 // ॐ काल्यै नमः // 4 // ॐ कलविकरिण्यै नमः // 5 // ॐ बलविकरिण्यै नमः // 6 // ॐ बलप्रमथिन्यै नमः // 7 // ॐ सर्वभूतदमन्यै नमः // 8 // मध्ये ॐ मनोन्मन्यै नमः // 9 // इति पूजयेत / ततः स्वर्णादिनिर्मितं यंत्र मृति वा ताम्रपाने निधाय घृतेनात्यज्य तदुपरि दुग्धधारा కన్ను For Private And Personal Use Only