________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir विंशतिशत 206 देषिणोर्मिथः // प्रत्यहं जुहुयान्मंत्री दूर्वाअष्टोत्तरं शतम् // 9 // आमयान्निखिलाञ्जित्वा दीर्घमायुरवामुयात्॥जुहुयाजम्बकाप्टेन पायसा शितं. घृतान्वितैः // 10 // इच्छन्ननिंदितां लक्ष्मीमारोग्यमतुलं यशः // गव्यदुग्धधृताक्ताभिर्वाभिर्जुहुयादशी // 11 // स विंशतिशतं तरं०६ सम्यक् स्वजन्मदिवसे सुधीः // आमयैः सकलैर्मुक्तो जविवर्षशतं मुधीः // 12 // काश्मरीसमिस्तिस्रः पयोन्नं त्रिशतं पृथक् // जुहुयाद्ब्राह्मणानंते भोजयेन्मधुरान्वितम् // 13 // पीणयेद्धनधान्याद्यैरात्मनो गुरुमादरात् // अनामयमवानोति दीर्घमायुः श्रिया सह // 14 // सघृतेन पयोन्नन हुत्वा पर्वणि मंत्रिणे // राजश्रियमवामोति षण्मासान्नात्र संशयः।। १५॥लाजैविशुद्ध हुयात्कन्या सैषा बरामये // क्षीरद्रुमसमिद्धोमाद्राह्मणादीन्वशं नयेत् // 16 // स्नात्वा सहस्रं प्रजपेदादित्याभिमुखो मनुम् // आधिव्याधि / विनिर्मुक्तो दीर्घमायुरवामुयात् // अनेन मनुना सर्व साधयेदिष्टमात्मनः" // इति त्र्यंबकमंत्रप्रयोगः // अथ महामृत्युंजय / मंत्रप्रयोगः // (मंत्रमहोदधौ ) महामृत्युंजयं वक्ष्ये दुरितापन्निवारणम् // यं प्राप्य भार्गवः शंभोम॒तान् दैत्यानजीक्यन् // 3 // मंत्री यथा--"ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम् // उर्वारुकमिव बंधनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् / भूर्भुवः स्वरों जूं सः हौं ॐ” इति मंत्रः / अस्य विधानम् / देशकालौ संकीर्त्य मम शरीरे ज्वरायमुकरोगनिरासद्वारा / सद्यः आरोग्यार्थममुककामनासिद्ध्यर्थं वा श्रीमहामृत्युजयदेताप्रीत्यर्थममुकसंख्यापरिमितश्रीमहामृत्युंजयजपं करिष्ये इति संकल्प्य // on ॐ गुरुवे नमः // 1 // ॐ गणपतये नमः // 2 // ॐ स्वष्टदेवतायै नमः // 3 // इति नत्वा न्यासादिकं कुर्यात् / तद्यथा / // 12 // For Private And Personal Use Only