________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir मै० म० ख०१ // 11 // सर्वदा पातु सर्वाङ्गे गणनायकः // य इदं प्रपठेन्नित्यं गणेशस्य महेश्वरि // 9 // कवचं सर्वसिद्धाख्यं सर्वविघ्नविनाशनम् // सर्व० सिद्धिकरं साक्षात्सर्वपापविमोचनम् // // 30 // सर्वसंपत्पदं साक्षात्सर्वपापविमोक्षणम् // सर्वसंपत्प्रदं साक्षात्सर्वशत्रुक्षयंकरम् // 11 // ग्रहपीडा ज्वरा रोगा ये चान्ये गुह्यकादयः // पठनाद्धारणादेव नाशमायांति तत्क्षणात् // 12 // धनधान्यकरं देवि कवचं सुर पूजितम् // ममं नास्ति महेशानि त्रैलोक्ये कवचस्य च // 13 // हारिद्रस्य महेशानि कवचस्य च भूतले // किमन्यैरसदालापर्यत्रायु य॑यतामियात // 14 // इति विश्वमारतंत्रे हरिद्रागणेशकवचं समानम् // इति श्रीमंत्रमहार्णवे पूर्वखण्डे गणेशतंत्रे पंचमस्तरंगः // 5 // s 11 // For Private And Personal Use Only