________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatm.org Acharya Shri Kalassagasun Gyanmandir मं०म० // 10 // कस्वरूपधृक् // 133 // द्विरुपो द्विभुजो यक्षो द्विरदो द्वीपरक्षकः // द्वैमातुरो द्विवदनो द्वन्द्वातीतो द्वयातिगः // 134 // त्रिधामापू० खं० 1 त्रिकरखेता त्रिवर्गफलदायकः // त्रिगुणात्मा त्रिलोकादिस्विशक्तीशविलोचनः // 135 // चतुर्बाहुश्चतुर्दन्तश्चतुरात्मा चतुर्मुखः॥ ग. चतुर्विधोपायमयश्चतुर्वर्णाश्रमाश्रयः // 136 // चतुर्विधवचोवृत्तिपरिवर्तप्रवर्तकः // चतुर्थीपूजनप्रीतश्चतुर्थीतिथिसंभवः // 137 // पञ्चाक्षरात्मा पश्चात्मा पश्चास्यः पञ्चकत्यकृत् // पंचाधारः पञ्चवणः पञ्चाक्षरपरायणः॥१३८॥पञ्चतालः पञ्चकरः पञ्चप्रणवभावितः॥ पञ्चब्रह्ममयस्पृर्तिः पञ्चवारणवारितः॥१३९॥पंचायप्रियः पञ्चबाणः पञ्चशिवात्मकः॥षट्कोणपीठः पट्चक्रधामा पयन्थिोदकः१४० षडध्वश्चान्तविधती पडंगुलमहादः // षण्मुखः षण्मुखचाता षशक्तिपरिवारितः॥ 14 // पवैरिवगविध्वंसी पम्मिायभञ्जनः॥ पटतर्कदुरः षटकर्मनिरतः षड्रसाश्रयः // 142 // समपातालचरणः मतदीपोरुमण्डलः // मनस्वलॊकमुकुटः मतसतिवरप्रदः 143 // मतांगराज्यमुखदः समर्षिगणमण्डितः / / मपच्छन्दोनिधिः सतहोता सतस्वराश्र : 144 // मताब्धिकेलिकामारः। सममातृनिषेवितः // समच्छन्दोमोदमदम्मप्रच्छन्दो मखप्रभुः // 145 // अष्टमूर्तियेयमूर्तिरष्टवकृतिकारणम // अष्टांगयोगफल भरष्टपात्राम्बुजासनः // 146 // अष्टशक्तिसमृद्धश्रीरप्टैश्वर्यप्रदायकः // अष्टपीठोपपीठश्रीरष्टमातृसमावृतः // 147 / / अष्टभैरवमेव्यो / वसुवन्द्योऽयमूर्तिभृत् // अष्टचक्रस्फुरन्मृतिरष्टद्रव्यहविःप्रियः / / 148 // नवनागासनाध्यासी नवनिध्यनुशासिता / / नवद्वारपुराधारो नवद्वारनिकेतनः // 141 // नवनारायणस्तुत्यो नवदुर्गानिषेवितः / / नवनाथमहानाथा नबनागविभूषणः // 15 // नवरत्नविचि // 10 // बांगो नवशक्तिशिरोधृतः // दशात्मको दशभुजो दशदिक्पतिवन्दितः // 151 // दशाध्यायो दशप्राणो दशेन्द्रियनियामकः // For Private And Personal Use Only