________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir न जानामि न जानामि विसर्जनम् // पूजाभागं न जानामि त्वं गतिः परमेश्वर // 1 // कर्मणा मनसा बाचा त्यत्नो नान्या गतिर्मम // kal अंतश्चरसि भूतानामिष्टस्त्वं परमेश्वर // 2 // अन्यथा शरणं नास्ति त्वमेव शरणं मम // तस्मात्कारुण्यभावेन रक्षस्व परमेश्वर // 3 // शतयोनिसहस्राणां सहस्रेषु व्रजाम्यहम् // तेषु चेष्टाचला भक्तिरच्युतास्तु सदा त्वयि // 4 // गतं पापं गतं दुःखं गतं दारिद्र्यमेव च // आगता सुखसंपत्निः पुण्याच्च तव दर्शनात् // 5 // मंत्रहीन क्रियाहीनं भक्तिहीनं मुरेश्वर // यत्पृजितं मया देव परिपूर्ण तदस्त गे॥ // 6 // यदक्षरपदावष्टं मात्राहीनं च यद्भवेत् ॥तत्सव क्षम्यतां देव प्रसीद परमेश्वर // 7 // देवो दाता च भोक्ता च देवरूपमिदं जगत्॥ देवं जपति सर्वत्र यो देवः सोहमेव हि // 8 // अमस्व देवदेवेश क्षम्यते भुवनेश्वर // तब पादांबजे नित्यं निश्चला भक्तिरस्तु मे // // 9 // इति कृतांजलिः प्रार्थयित्वा ततः शंखमुद्धत्य देवोपरि चामयित्वा // साधु वासाधु वा कर्भ यद्यदाचरितं मया // तत्सर्व कृपया देव गृहाणाराधनं मम // 1 // इत्युच्चरन देवस्य दक्षिणहस्ते किंचिजलं दत्त्वा प्राग्वदर्थं देवशिरसि दत्त्वा शंखं यथास्थाने निवेश्य मूलेन देवोच्छिष्टनैवेद्यादिकं शिरसि धृत्वा देवभक्तेषु विभज्य स्वयं भक्का बलीत्यादिकं गतसारनैवेद्यं च तदुच्छिष्टभोजिन इति निवेदयेत्॥ अथ विसर्जनम् / गच्छगच्छ परस्थाने स्वस्थाने परमेश्वर // यं हि ब्रह्मादयो देवा न विदःपरमं पदम् // 1 // इत्यक्षतान्निक्षिप्य | देवं स्वदृदयमध्ये स्थापयेत् // तद्यथा “तिठ तिष्ठ परस्थाने स्वस्थाने परमेश्वर // यत्र ब्रह्मादयो देवा सर्व तिष्ठति मे हृदि // 1 // इति देवं हृदये संस्थाप्य मानसोपचारैः संपूज्य स्वात्मानं देवरूपं भावयन् यथासुखं विहरेत् // इति गणेशपूजापद्धतिः समाप्ताः // For Private And Personal Use Only