________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir గా నిత్యం "इदं फलं मया देव स्थापितं पुरतस्तव // तेन मे सफलावातिसंवेजन्मनि जन्मनि // 1 // " मूलं पठित्वा ॐ भर्भुवः स्वः अमुकगणपतयेोधि नमः फलं समर्पयामि // 28 // इति फलं समर्प्य शक्तश्चेत् क्षेत्रादिदक्षिणापर्यंत सर्वदेवोपयोगिपद्धतिमार्गेग दत्त्वा आरात्रि कुर्यात् // अथ करारात्रिकम् // "कदलीगर्भसंभूतं कर्परं च प्रदीपितम् // आरात्रिकमहं कुर्वे पश्य मे वरदो भव // 1 // इति पठित्वा मूलेन देवोपरि नेत्रादिपादपर्यंत नववार त्रिवारं वा त्रामयेत् घंटा नादयेत // इति कर्पूरारात्रिकम् // 29 // अथ प्रद क्षिणा // “यानि कानि च पापानि जन्मांतरकतानि वै // तानि सर्वाणि नश्यंतु प्रदक्षिणपदेपदे // 1 // " इति मंत्रेण तिनः प्रदक्षिणा दद्यात् // मूलं पठित्वा ॐ भूर्भुवः स्वः अमुकगणपतये नमः प्रदक्षिणां समर्पयामि // 30 // अथ पुष्पांजलिः // “नानासुगंधाष्पाणि यथाकालोद्भवानि च / / पुष्पांजलिं मया दत्तं गृहाण परमेश्वर // 3 // मूलं पठित्वा ॐ भूर्भुवः स्वः अमुकगणपतये नमः पुष्पांजलिं समपर्यामि // इति पुष्पांजलिः // 31 // अथ साष्टांगप्रणामम् // “प्रमन्नं पाहि मामीश भीतं मृत्युग्रहाणवात् // " इति वदन् साष्टांग प्रणामे नाम निवेदयेत् // 32 // तस्तुतिपाठेन देवं स्तुत्वा बद्धाअलिपूर्वकं क्षमापयेत् // "ज्ञानतोऽज्ञानतो वाथ यन्मया क्रियतेऽशिवम्॥ मम कृत्यमिदं सर्वमिति देव क्षमस्व मे // 3 // " अपराधसहस्राणि क्रियतेऽहनिशं मया // दासोहमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर // 2 // अपराधो भवत्येव सेवकस्य पदेपदे // कोऽपरः सहतां लोके केवलं स्वामिनं विना // 3 // भूमौ स्खलितपादानां भूमिरेवावलंबनम् // त्वयि जातापराधानां त्वमेव शरणं शिव // 4 // " इति बद्धांजलिपूर्वकं क्षमाप्य ॥"यदुक्तं यदि भावन पत्रं पुष्पं फलं जलम् // निवेदितं అని అని ఆ పని చేసా For Private And Personal Use Only