________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir नमः कनिष्ठिकाभ्यां नमः५। फट करतलकरपृष्ठान्यां नमः 6 / इति करन्यासः // ॐ गणेश हृदयाय नमः / मणं छिन्धि शिरसेपू० ख०१ स्वाहा 2 / वरेण्यं शिखायै वषट् 3 / हुं कवचाय हुं 4 नमः नेत्रत्रयाय वौषट् 5 / फट् अस्वाय फट 6 / इति हृदयादिषडंगन्यासः // गतं. अथ ध्यानम् / “ॐ सिंदूरवर्ण द्विभुजं गणेशं लम्बोदरं पद्मदले निविष्टम्॥ब्रह्मादिदेवैः परिमेव्यमानं मिद्धेर्युतं तं प्रणमामि देवम् // 4 // तरं०५ पृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजितः फलसिद्धये // संदेव पार्वतीपुत्रः कंगनाशं करोतु मे // 5 // त्रिपुरस्य वधात्पूर्व शंभुना सम्यगर्चितः / // सदैव० // 6 // हिरण्यकश्यप्वादीनां बधार्थ विष्णुनाचिंतः ।।सदैव० // 7 // महिषस्य वधे देव्या गणनाथः प्रपूजितः॥सदैव०॥८॥ तारकस्य वधात्पूर्व कमारेण प्रपूजितः।। सदैव // 9 / / भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छविमिद्धये / / भदैव 0 // 10 // तश्छनि०॥ शशिना / कांतिवृद्धयर्थ पृजितो गणनायकः // सदैव 0 // 11 // पालनाय च नपमा विश्वामित्रेण पूजितः॥ मदेव // 12 // इदंन्वृणहरस्तोत्रं तीवदारयनाशनम् // एकवारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं समाहितः // 13 // दारियं दारुणं त्यक्त्वा कुबेरसमतां व्रजेत् // फडतोयं महामंत्र है। सार्द्धपंचदशाक्षरः // 14 // मंत्रो यथा “ॐ गणेश ऋणं छिंधि वरेण्यं हुँ नमः फट " इति साईपंचदशाक्षरो मंत्रः / इमं मंत्रं पठेदन्ते 5 ततश्च शुचिभावनः // एकविंशतिसंख्यानिः पुरश्चरणमीरितम् // 15 // सहस्रावर्तनात्सम्यक् षण्मासं प्रियतां व्रजेत् // बृहस्पतिसमो ज्ञाने धने धनपतिर्भवेत् / / 16 // अस्यैवायुतसंख्याभिः पुरश्चरणमीरितम् // लक्षमावतीत्सम्यग् वांछितं फलमानुयात् // 27 // 7 // भूतप्रेतपिशाचानां नाशनं स्मृतिमात्रतः॥१८॥ इति श्रीकृष्णयामलतंत्रे उमामहेश्वरसंवादे ऋणहरणकर्तृगणेशस्तोत्रं समातम् // अथ ) शसिद्धविनायकमन्त्रप्रयोगः॥ ( प्राकृतग्रंथे ) मंत्रो यथा “ॐ नमो सिद्धविनायकाय सर्वकार्यकत्रे सर्वविन्नप्रशमनाय सर्वराज्यवश्यकरणाय For Private And Personal Use Only