________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir एवमाराधितो मंत्रस्सिद्धो यच्छेन्मनोरथान॥ शुक्रपक्षे चतुझं तु कन्यापिटहरिद्रया / / 2 // विलिप्यांग जले स्नात्वा पूजयेद्गणनायकम्॥ तर्पयित्वा पुरस्तस्य महलं माष्टकं जपेत् // 3 // शतं हुत्वात्वाज्यपूपैनोजयेद्ब्रह्मचारिणः // कुमारीरपि संतोष्य गुरुं प्रामोति वांछितम् / // 4 // लाजैः कन्यामवामोति कन्यापि लभंत वरम् / / वंध्या नारी रजःस्नाता पूजयित्वा गणाधिपम् / / 5 / / पलप्रमाणगोमूत्रे पिष्टवा था सिंधुवचानिशाः॥ सहस्रं मंत्रयेत्कन्या बटन्सभोज्य मोदकैः // 6 // पीत्वा तदौषधं पुत्रं लाते गुणमागरम् // वाणीस्तभं रिपुस्तंभाला कुर्यान्मनुरुपासितः / / 7 // जलाग्निचौरसिंहाचप्रमुखानपि रोधयेत् // शाङ्गीमांसस्थितः सेन्दु/जमुक्तं गणेशितः // हरिद्राख्यस्य यजनं पूर्ववत्योदितं मनोः // 8 // प्रोक्ता ये ते गणेशस्य मंत्रा इष्टमभीप्सिताः // गोपनीया न दुष्टेन्यो बदनीयाः कथंचन // 9 // इति श्रीहरिद्रागणेशमंत्रप्रयोगः // अथ ऋणहर्तृगणेशमंत्रविधानम्।। ( कृष्णयामलतंत्रे ) तत्रादी अणहर्तृगणेशस्तोत्रभारंजः // "कैलासे पर्वते रम्ये शंभुं चन्द्रार्द्धशेखरम् // षडाम्नायसमायुक्तं पप्रच्छ नगकन्यका // 1 // पार्वत्युवाच // देवेश परमेशान सर्वशास्त्रार्थपारग // उपायमृणनाशस्य कृपया वद सांप्रतम् // 2 // शिव उवाच // सम्यक्पृष्टे त्वया भद्रे लोकानां हितकाम्यया // तत्सर्व संप्रवक्ष्यामि साबधानावधारय / / 3 // ॐ अस्य श्रीऋणहरणकर्तृगणवतिस्तोत्रमंत्रस्य सदाशिव ऋषिः अनुष्टुप् छंदः। श्रीऋणहर्तृगणपतिर्देवता / ग्लौं बीजम्। गः शक्तिःोगों कीलकम्। मम सकलर्णनाशने जपे विनियोगः॥ॐ सदाशिवर्षये नमः शिरसि ।।अनुष्टुप् छंदसे नमः मुखे। श्रीऋणहर्तृगणेशदेवतायै नमः हृदि 3 / ग्लौं बीजाय नमः गुह्ये 4 / गः शक्तये नमः पादयोः 5 / गों कीलकाय नमः सर्वाङ्ग 6 / इति ऋष्यादिन्यासः॥ॐ गणेश अंगुष्ठाभ्यां नमः / पाणं छिथि तर्जनीयां नमः 2 / वरेण्यं मध्यमान्यां नमः३। हुं अनामिकाभ्यां नमः For Private And Personal Use Only