________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir // 79 // मधमद्यभाण्डास्थतं हरूमात्र तं निखनेस्थले // तत्रोपविश्य प्रजपेन्मंत्री नक्तं दिवा मनुम् / / 18 // सप्ताहमध्ये नश्यति सर्वे घोरा उपपखं०१ वाः // शत्रयो वश्यतां यांति वर्द्धते धनसंपदः / / 19 // दुष्टस्त्रीवामपादस्य रजसा निजदेहजैः // मलैमूत्रपुरीषायैः कुंभकार all मृदापि च // 20 // एतैः कृत्वा गणेशस्य प्रतिमा मयभाण्डगाम् // संपृज्य निखनमा हस्ताई पूरिते पुनः / / 21 // संस्थाप्य तरं०५ यहिं जुहुयात् कुसुमेहंयमारजैः॥ सहस्रं सा भवेद्दासी तन्वा च मनसा धनैः / / 22 / / एवमादिप्रयोगांस्तु नवार्णनापि साधयेत् / परीक्षि ताय शिष्याय प्रदेया निजसूनवे / / 23 / / इति सप्तत्रिंशदक्षरमंत्रप्रयोगः।। (प्रकारांतरेणकाधिकचत्वारिंशदक्षरमंत्रभेदो रुद्रयामलतंत्रे ) मंत्रो यथा / / ॐ नमो भगवते एकदंष्ट्राय हस्तिमुखाय लम्बोदराय उच्छिष्टमहात्मने आँ का ह्रींगधे उच्छिष्टाय स्वाहा // इति मंत्रः॥ HIॐ अस्य श्रीअच्छष्टमहागणपतिमंत्रस्य मतंगभगवान ऋषिः। गायत्री छंदः। उच्छिष्टमहागणपतिदेवता / गं बीजम् / स्वाहा शक्तिः। ह्रीं कीलकम् / / ममाभीष्टसिद्धये जपे विनियोगः // इति विनियोगं कुर्यात् अन्यत्सर्व पूर्ववत् // ( मंत्रमहोदधी) द्वात्रिंशदक्षरमंत्रभेदः // मंत्रो यथा // ॐ हस्तिमुखाय लम्बोदराय उच्छिष्टमहात्मने आँकोह्रींनीही हुँघेघे उच्छिष्टाय स्वाहा / / ॐ अस्य श्रीउच्छिष्ट गणपति मंत्रस्य गणक ऋषिः। गायत्री छंदः / उच्छिष्ट गणपतिर्देवता / ममाभीष्टसिद्धये जपे विनियोगः // ॐ गणकऋषये नमः शिरसि // 1 // ॐ गायत्रीछंदसे नमः मुखे // 2 // ॐ उच्छिष्टगणपतिदेवतायै नमः हृदि // 3 // ॐ विनियोगाय नमः सर्वांगे // 4 // इति / ऋष्यादिन्यासः ॐ हस्तिमुखाय अंगुष्ठाभ्यां नमः॥ 1 // लंबोदराय तर्जनीभ्यां नमः॥२॥ उच्छिष्टमहात्मने मध्यमाभ्यां नमः laolin 3 // आँकोहीक्लींहींहूँ अनामिकाभ्यां नमः // 4 ॥घेघे उच्छिष्टाय कनिष्ठिकाभ्यां नमः // 5 // स्वाहा करतलकरपृष्ठा 1 करवीरोद्भवैः। For Private And Personal Use Only