________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir 78 // ॥३॥ॐ पिशाचि कवचाय हूं ४॥ॐ लिखे नेत्रत्रयाय वौषट् // ॐ स्वाहा अखाय फट् // इति हृदयादिषडंगन्यासः // l. खं०१ मं० म० एवं न्यासं कुर्यात् / अन्यत् सर्वे पूर्ववत् / / इत्येकोनविंशत्यक्षरोच्छिष्टगणेशमंत्रप्रयोगः // अथ सप्तत्रिंशदक्षरोच्छिष्टगणेशमंत्रप्रगतं. योगः मंत्रो यथा // ॐ नमो भगवते एकदंष्ट्राय हस्तिमुखाय लम्बोदराय उच्छिष्टमहात्मने आंक्रोह्रींगंधेघे स्वाहा // इति सप्तत्रिंशदक्षरो तरं. 5 मंत्रः // अस्य विधानम् // ॐ अस्य श्रीउच्छिष्टगणेशमंत्रस्य गणक ऋषिः। गायत्री छन्दः / उच्छिष्टगणपतिर्देवता / गं बीजं / ह्रीं शक्तिः। औं की कीलकं ! ममाभीष्टमिद्धये जपे विनियोगः॥ॐ गणकर्षये नमः शिरसि 1 // गायत्रीछन्दमे नमः मुखे // उच्छि गणपतिदेवतायै नमः हृदि 3 // बीजाय नमो गुह्ये 4 // ह्रीं शक्तये नमः पादयोः 5 // आँ काँ कीलकाय नमो नाभी 6 // विनियोगाय नमः सर्वांगे // इति ऋष्यादिन्यासः // ॐ नमो भगवते एकदंष्ट्राय अंगुष्ठाभ्यां नमः 1 // हस्तिमुखाय तर्जनीभ्यां नमः 2 // लम्बोदराय मध्यमाभ्यां नमः 3 // उच्छिष्टमहात्मने अनामिकाभ्यां नमः 4 // आँकॉहींग कनिष्ठि काभ्यां नमः 5 // घेघे स्याहा करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः 6 // इति करन्यासः // ॐ नमो भगवते एकदंयाय हृदयाय नमः 3 // हस्तिमुखाय शिरसे स्वाहा 2 // लंबोदराय शिखायै वषट् 3 // उच्छिष्टमहात्मने कवचाय हुं 4 // आँकाँही ग नेत्रत्रयाय वौषट् 5 // घेघेस्वाहा अवाय फट 6 // इति हृदयादिषडंगन्यासः एवं / / न्यासं कृत्वा ध्यायेत् // अथ ध्यानम् / ॐ शरान्धनुः पाशमृणी स्वहस्तैर्दधानमारक्तसरोरुहस्थम् // विवस्त्रपन्यां सुरतप्रवृत्नमुच्छिष्टमम्बामुतमाश्रयेऽहम् // 1 // एवं // 78 // ध्यात्वा पूर्वोक्तपीठपूजां विधाय पूर्वोक्कावरणपूजां च कवा जपं कुर्य्यात् // अस्य पुरश्चरणमेकलक्षजपः / तद्दशांशतो घृतहोमः / / For Private And Personal Use Only