________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir इत्यक्त्वा पुष्पांजलिं च दत्त्वा विशेषाद्विदं निक्षिप्य पूजितास्तपिर्ताः संत इति वदेत् // इत्यावरणपूजां कृत्वा धूपादिनमस्कारांत सं| पूज्य पिशितं वा फलं मोदकं वा गुडपायसं या बलिं दद्यात् // तत्र मंत्रः // ॐ गॅहॅक्लॉग्लाँ उच्छिष्ट गणेशाय महायलाय यं बलिः॥ / इति मंत्रेण निवेदयेत् / ततः देवतानिवेदितमोदकं तांबुलं वा स्वयं भुक्त्वा उच्छिष्टमुखेन जपं कुर्य्यात् // अस्य पुरश्चरणमेकलक्षजपः / / तदशांशतस्तिलहोमः। तदशांशेन तर्पणमार्जनबाह्मणभोजनं च कुर्यात // एवं कते मंत्रः सिद्धो भवति / एतसिद्ध मंत्र मंत्री प्रयोगान साध येत् / तथा च ॥"लामेकं जपेन्मत्रं दशांशं जहुयात्तिलैः॥ एवं मिद्धे मनी मंत्री प्रयोगान्कर्तुमर्हति // 1 // स्वांगुष्ठप्रतिमां कृत्वा कैपि ना सितभानुना / / गणेशप्रतिमां रम्यामुक्तलक्षणलक्षिताम् / / 2 / / प्रतिष्ठाप्य विधानेन मधुना स्नापयेच्च ताम् / / आरत्य कृष्णभूतादि यावा च्छुक्लाचतुर्दशी // 3 // सगुडं पायसं तस्मै निवेद्य प्रजपेन्मनुम्॥सहस्र प्रत्यहं तावज्जुहुयात्मवृतैस्तिलैः॥४॥गणेशोहमिति ध्यायन्नुच्छि टेनावृतो रहः // पक्षाद्राज्यमवामोति नृपजोन्योपि वा नरः॥ 5 // कुलालमृत्स्नाप्रतिमा पूजितैवं सुराज्यदा // वल्मीकमृत्कृता लाभ * मेवमिष्टान्प्रयच्छति // 6 // गौडी सौभाग्यदा मैवं लावणी ओभयेदरीन // निंबजा नाशयेच्छव॒न्प्रतिमैवं समर्चिता // 7 // मध्वा किहोमतो लाजैर्वशयेदखिलं जगत् / / सुप्तोधिशय्यमुच्छिष्टो जपञ्छत्रुन वशं नयेत् // 8 // कटुतैलान्वितैराजीपुष्पर्विद्वषयेदरीन | द्यूते विवादे समरे जप्तोयं जयमावहेत् // 9 // कुबेरोस्य मनोर्जापान्निधीनां स्वामितामयात् // लेाते राज्यमनार / वानरेशविभीषणौ // 10 // रक्तवस्त्रांगगाराढ्यतांबुलं निश्यदञ्जपेत् // यद्वा निवेदितं तस्मै मोदकं भक्षयअपेत् // पिशित वा फलं| 1 रक्तचन्दनेन // 2 श्वेतार्केणवा // 3 घृतमधुशकरातः // 20 For Private And Personal Use Only