________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir मं० म०लकमारी पूज्यते यत्र स देशः क्षितिपावनः॥ महापुण्यतमो भूयात समंतात्कोशपंचकम् // 3 // (रुद्रयामले ) महापूजादिकं कृत्वा वस्त्रालंपू० ख०१ कारभोजनैः॥पूजनान्मन्दभाग्योऽपि लभते जयमंगलम् // 4 // पूजया लाते पुत्रान् पूजया लभते श्रियम् // पूजया धनमामोति पूजया लभते स०दे०प० महीम् // 5 // पूजया लभते लक्ष्मी सरस्वती महौजसम्॥महाविद्याः प्रसीदति सर्व देवा न संशयः॥६॥कालभैरवब्रह्मेन्द्रब्राह्मणा ब्रह्मवेदिनः॥ तरं०४ रुद्रश्च देववर्गाश्च वैष्णवा ब्रह्मरूपिणः // 7 // अवताराश्च द्विभुजा वैष्णवा मनुशोभिताः // अन्ये दिक्पालदेवाश्च चराचरगुरुस्तथा // An८॥नानाविद्याश्रिताः सर्वे दानवाः कूटशालिनः॥उपसर्गस्थिता येये तेते तुष्टा न संशयः॥९॥कुमारी योगिनी साक्षात्कुमारी परदेवता॥ असुरा दुष्टनागाश्च येये दुष्टग्रहा अपि // 10 // भूतवेतालगंधर्वा डाकिनीयक्षराक्षसाः॥ याश्चान्या देवताः सर्वा भूर्भुवः स्वश्च भैरवाः॥ Su१॥पृथिव्यादीनि सर्वाणि ब्रह्माण्डे सचराचरम्॥ब्रह्मा विष्णुश्च रुद्रश्च ईश्वरश्च सदाशिवः॥१२॥संतुष्टाः सर्वतष्टाश्च यस्तु कन्यां प्रपूज येत् / / अयाहं शुद्धरूपा हि अन्यलोके च का कथा // कुमारीपूजनं कृत्वा त्रैलोक्यं वशमानयेत् // 13 // महाकांतिभवेक्षिप्रं सर्व। पुण्यफलप्रदम् // 14 // (नीलतंत्र) महाभयातिदुर्भिक्षाद्युत्लातानि कुलेश्वरि // दुःस्वममपमृत्युश्च ये चान्ये च समुद्भवाः // 15 // कुमारीपूजनादेव न ते च प्रभवंति हि // नित्यं क्रमेण देवेशि पूजयेविधिपूर्वकम् // 16 // नंति विनान्पूजिताश्च भयं शत्रुन्महोत्कटान् // यहा रोगाः क्षयं यांति भूतबेतालपन्नगाः // 17 // ताबजप्त्वा पूजयित्वा कन्यां सुंदरमोहिनीम् // दिव्यभावस्थितं साक्षात्तंत्रमंत्रफलं // 7 // लभेत् // 18 // महाविद्या महामंत्र सिद्धिमंत्रं न संशयः॥ विधियुक्तां कुमारी तु भोजयेच्चैव भैरव ॥१९॥पाद्यायं च तथा धूपं कुंकुम चंदनं शुभम् // भक्तिभावेन संपूज्य कुमारीज्यो निवेदयेत् // 20 // इति श्रीमंत्रमहार्णवे पूर्वखण्डे सर्वदेवोपयोगिपद्धतिचतुर्थस्तरंगः // 4 // For Private And Personal Use Only