________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir // 50 // मं० म० इह सम्मुखो भव / इत्यक्षतान्निःक्षिप्य सम्मुखीकरणमुद्रां प्रदर्शयेत् / इति मम्मुखीकरणम् // 5 // अभक्तवाङ्मनश्चक्षुःश्रोत्रराति पू० ख० 1 गयुते // स्वतेजःपअरेणाशु वेष्टितो भव सर्वतः // 1 // मूलं पठित्वा ॐ भूर्भुवः स्वः अमुकदेव अवगुंठितो भव / इत्यक्षतान्निःक्षिप्य स० दे०प० अवगुंठिनीमुद्रां प्रदर्शयेत् / इत्यवगुंठनम् // 6 // यस्य दर्शनमिच्छंति देवाः स्वातीष्टसिद्धये // तस्मै ते परमेशाय स्वागतं स्वागतं च मे तर // मूलं पठित्या ॐ भूर्भुवः स्वः अमुकदेवते मुस्वागतं सर्पयामि / इति मुस्वागतम् // 7 // देवदेव महाराज प्रियेश्वर प्रजापते॥ थ आसनं दिव्यमीशानादास्येहं परमेश्वर // 1 // मूलं पठित्वा ॐ भूर्भुवः स्वः अमुकदेशय नमः आसनं समर्पयामि // 8 // इत्यासन दत्वा करी बद्धा प्रार्थयेत् / स्वागतं देवदेवेश माग्यात्त्वमिहागतः // प्राकृतं त्वमदृष्ट्वा मां बालवत्परिपालय // 1 // मूलं पठित्वा ) ॐ भूर्भुवः स्वः अमुकदेवाय नमः प्रार्थनां समर्पयामि नमस्करोमि // 8 // इति प्रार्थ्य पाद्याद्युपचारैः पूजयेत् / तद्यथा--यद्भक्ति लेशसंपकात्परमानंदविग्रह / तस्मै ते चरणाजाय पायं शुद्धाय कल्पये // 1 // मूलं पठित्वा ॐ भूर्भुवः स्वः अमुकदेवाय नमः पाद्यं / समर्पयामि / इति सामान्या@दकेन शंखोदकेन वा पायं दद्यात् // इति पाद्यम् // 9 // तापत्रयहरं दिव्यं परमानन्दलक्षणम् // तापत्रय विनिर्मुक्तस्तवायं कल्पयाम्यहम्॥१॥मूलं पठित्वा ॐ भूर्भुवःस्वःअमुकदेवाय नमःइदमयं समर्पयामि / अर्योदकेनायं दद्यात्॥इत्यय॑म् / 0 // सर्वकालुप्यहीनाय परिपूर्णमुखात्मने // मधुपर्कमिदं देव कल्पयामि प्रसीद मे // 1 // मूलं पठित्वा अमुकदेवाय नमः मधुपर्क १-रुद्रयामले निवेदयेत्पुरोभागे मंधं पुण्यं च भूषणम् / दी दक्षिणतो दद्यात्पुरतो वा न वामतः // वामतस्तु तथा धूपमग्रे वा न तु दक्षिणे / नये दक्षिणे भागे पुरतो वा न पृष्ठतः // धूपदीपी सुभोज्यं च देवता निवेदयत: २शक्तिपूजायां स्वमंत्राणांबीलिंगेनोच्चारण कुय्यीत् / / या For Private And Personal Use Only