________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatram.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir मं० म० // 40 // पू०ख०१ सन्दे०प० तरं०४ संप्रोक्ष्य दक्षिणशाखायाम्-ॐ गं गणपतये नमः॥1॥ ॐ दुर्गायै नमः // 2 // वामशाखायाम्-ॐ वं बटुकाय नमः // 1 // ॐ शं क्षेत्रपालाय नमः // 2 // द्वारोपरि-ॐ सं सरस्वत्यै नमः // 1 // देहल्याम्-ॐ अस्त्राय फट् इति पूजयेत् // इति द्वार पूजाप्रयोगः // अथ क्षेत्रकीलनम् // जास्थाने गत्या पृथ्वीग्रहणं कुर्यात् // तद्यथा-गृहीतस्यास्य मंत्रस्य पुरश्चरणसिद्धये // मयेयं गृह्यते भूमिर्मत्रोयं सिद्धिमाप्नुयात्॥३॥इति भूमि संगृह्य अश्वत्थोदुंबरपक्षाणामन्यतमवितस्तिमात्रान् दशकीलान् / ॐ नमः सुदर्शनायास्वाय फट् इति मंत्रण अष्टोत्तरशतरुत्वोऽभिमंत्रितान्-ॐ ये चात्र विन्नकर्तारो भुवि दिव्यंतरिक्षगाः॥विनभूताश्च ये चान्ये मम मंत्रस्यमिद्धिषु॥३॥ मतत्कीलितं क्षेत्रं परित्यज्य विदूरतः // अपसर्वतु ते सर्वे निविना सिद्धिरस्तु मे॥ 2 // इति मंत्रद्वयन दशदिक्षु दशकीलान निखनेत॥ ततस्तेषु ॐ सुदर्शनायास्त्राय फट् इति मंत्रण प्रत्येककीलान संपूज्य तत्रैव पूर्वादिक्रमेण इन्द्रादिलोकपालानाबाह्य पंचोपचारैः संपूज्य जस्थानमध्ये गणेशं कृानंतवसुधाक्षेत्रपालांश्च संपूज्य दिक्पालेयःक्षेत्रपालगणपतित्यश्च मापभक्तबलिं दत्त्वा तद्बाह्ये भूतबलिं दद्यात्॥ तत्र मंत्रः-ये रौद्रा रौद्रकर्माणो रौद्रस्थाननिवामिनः // मातरोप्युग्ररूपाश्च गणाधिपतयश्च मे // 1 // भूचराः खेचराश्चैव तथा चैवांतरिक्षगाः॥ ते सर्वे प्रीतमनसः प्रतिगृह्णविमं बलिम् // 2 // इति मंत्रव्येन दशदिक्षु बाहो माषभक्तवलिं दद्यात् / ततो वामकरांगुलिभिरय॑जलेनोत्सृज्य पुष्पांजलिं गृहीत्वा / ॐ भूतानि यानीह वसंति भूतले बलिं गृहीत्वा विधिवत्प्रयुक्तम् // संतोपमासाद्य वजंतु सर्वे क्षमंतु तान्यत्र नमोस्तु तेभ्यः // 1 // इति पुष्पांजलिं दत्त्वा प्रणम्य हस्ती पादो प्रक्षाल्याचामेत् // इति क्षेत्रकीलनम् // 1 विवभूताच ये चान्ये दिग्विदिक्षु समाश्रिताः // इति पाठान्तरम् // USB // 10 // For Private And Personal Use Only