________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobalrm.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir पूर्वकत्यम्॥ अथ प्रातःकत्यम्॥पुश्चरणदिवसे श्रीमत्साधकेन्द्रः प्रातःकालात्पूर्व दंडव्यात्मके ब्राह्म मुहूर्ते चोत्थाय निद्रास्थानादहिनिर्गत्य | हस्तौ पादौ प्रक्षाल्याचम्य रात्रिवस्त्रं परित्यज्यान्यवस्वं परिधाय शुद्धासन उपविश्य स्वशिरसि सहस्रदलपंकजे कोटींदुप्रकाशपीठे श्रीगुरुं ध्यायेत // तथा च-आनंदमानंदकरं प्रसन्नं ज्ञानस्वरूपं निजबोधरूपम् // योगीन्द्रमीड्यं भवरोगवैद्यं श्रीमद्गुरुं नित्यमहं भजामि // 3 // इति ध्यात्वा मानसोपचारैः संपूज्य। प्रातःप्रभृतिसायांतं सायादिप्रातरंततः // यत्करोमि जगन्नाथ तदस्तु तब पूजनम् // 1 // इत्यनेन ॐ मंत्रेण सर्व गुरुवे निवेद्य तदाज्ञां गृहीत्वा मूलमंत्रदेवतायाः प्रातः स्मरणं कुर्यात् // प्रातः स्मरणं कृत्वा गुरुमंत्रदेवतात्मनामैश्यं विभाव्य अजपाजपं गुरखे समर्पयेत् // ( अथाजपाजपसंकल्पः संक्षेपतः ) आधारे लिंगनाभौ हृदयसरमिजे तालुमूले ललाटे हे पद्मे षोडशारे द्विदशदशदले द्वादशा चतुष्के / वासांते बालमध्ये डफकठसहिते आदियुक्ते स्वराणां हंसंतत्त्वार्थयुक्तं सकलदलगतं वर्णरूपं नमामि // // 3 // षट्शतं तु गणेशस्य षट्सहस्र प्रजापतेः // षट्सहस्रं गदापाणेः षट्सहस्रं पिनाकिनः // 2 // आत्मनस्तत्सहस्रं च सहस्रं पर मात्मनः // सहस्रं श्रीगुरुभ्यश्च ह्येवं तानि नियोजयेत् // 3 // हंसो गणेशो विधिरेव हंसो हंसो हरिर्हममयश्च शंभुः // हंसोपि जीवः परमात्महंसो हंसो गुरुहेसमयश्च शंभुः // 4 // इति पठित्वा अहोरात्रोच्चारितं षट्शताधिकमेकविंशतिसहस्रमुच्छासनिश्वासात्मकमजपा गायत्रीमंत्रजपं श्रीगणेशब्रह्मविष्णुरुद्रजीवात्मपरमात्मश्रीगुरुग्यो यथासंख्यं समर्पयामि // इत्युक्त्वाष्टोत्तरशतावृत्तिं सगायत्री जपेत् // अथ हंसगायत्रीमंत्रः॥ हरिः ॐ हंसो हंसस्य विद्महे हंसो हंसस्य धीमहि // हंसो हंसः प्रचोदयात् // इति जपित्वा त्रैलोक्यचै तन्यमयि त्रिशक्ते श्रीविश्वमातर्भवदाज्ञयैव // प्रातः समुत्थाय तव प्रियार्थ संसारयात्रामनुवर्तयामि // 1 // इति संप्रार्थ्य भूमिं प्रार्थ For Private And Personal Use Only