SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 243
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पृटम्. ... १४२ ७,८,११,२४,१४३,१४४ ९ विषयः परस्परपरिहार ... पराजय प्रतिज्ञा प्रतिबन्दी प्रतियोगिन् ... प्रतिवादिन् प्रतीतापर्यवसान प्रतीत्यपर्यवसान प्रत्यक्ष प्रध्वंस प्रमाण प्रमाणविरह प्रमिति प्रमेयत्व प्रसङ्ग प्रागभाव :::::::: ७७ :: :: :: : : ११४,११९ पृष्ठ म. विषयः , ... १४४/ व्यतिरेकव्याप्ति ... १३६,१४९ व्यभिचार । ... | व्यवच्छिन्न १२९,१३१ व्याघात ... ... ३८ व्यापक ... .... १० व्याप्ति: व्याप्यत्व ... १०२,१०६,१३८ | व्याप्यत्वासिद्ध ... | व्याप्यत्वासिद्धि ... ३७,८९ व्युदास सकलवस्तुनिष्ठत्व | सत्प्रतिपक्ष ... ९७ सत्प्रतिपक्षता ... | सत्प्रतिपक्षत्व ... | सत्प्रतिपक्षितत्व... ८९ सपक्षता १२१ सपक्षनिष्ठत्व ... १२२,१२८ समवायिकारण... ... ३८ सव्यभिचारत्व... २,७,७९, इ. सन्दिग्धानकान्तिक ... ७७ | संप्रतिपन्न ८,६,१३१/ संसर्ग ८८ संसृज्यमानप्रतियोगि ... ८७.८८ साधनवादिन् ... साधनाव्यापकत्व ७२ साध्यव्यापकत्व... सिद्धान्तविप्लावकत्व सोपाधित्व ... ६ स्वरूपासिद्ध ... ६ स्वव्याघातक ... ... ९८! स्वस्वेतरवृत्तित्य... २५ : :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: m . बाध बाधा . भाव orm . . महाविद्या मान मलशैथिल्य योग्यता योग्यानुपलब्धि ... वादिन् ... विपक्षनिष्ठ विरुद्ध विशिष्टाभाव ... विशेषणाभाव ... विशेष्याभाव ... व्यतिरेक :::::::::::::: ... १३२ . For Private And Personal Use Only
SR No.020464
Book TitleMahavidya Vidambanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVadindra Bhatt, Anandpurna, Bhuvansundarsuri, Mangesh R Telang
PublisherCentral Library
Publication Year1920
Total Pages247
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy