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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir महाराज छत्रसाल। - दास और पूज्यवर तुकाराम इसके उज्ज्वल उदाहरण हैं । ये महात्मा कुछ राजनीतिक विद्रोही न थे। ये आजकलके पोलिटिकल सन्यासी न थे। इनका जीवनोद्देश्य देशमें राजनीतिक आन्दोलन फैलाना न था। परन्तु ये शिष्यके अधिकारकी परीक्षा कर सकते थे, जो ब्रह्मज्ञानका पात्र था उसे ब्रह्मज्ञानकी शिक्षा देते थे, जो अभी इतना धौतचित्त नहीं हो गया था कि वह असम्प्रज्ञात समाधिमें स्थित किया जा सके उसे उसकी योग्यतानुसार श्रेष्ठ कर्ममार्गमें ही दृढ़ करते थे। __इसी प्रकारके एक साधुके दर्शन प्राप्त करनेका अवसर छत्रसालको मिला। इनका नाम प्राणनाथ था। छत्रसालके जीवनपर इनका इतना प्रभाव पड़ा है कि इनकी संक्षिप्त जीवनी देनी आवश्यक है। · गुजरात प्रांतके अन्तर्गत जामनगर पुरीमें क्षेमजी नामक एक धनाढ्य स्खत्रीके यहाँ भाद्रपद कृष्ण चतुर्दशी संवत् १६७५ को इनका जन्म हुआ। एक साधुके आशीर्वादसे इनका जन्म हुमा था। उस समय इनका नाम मेहराज था। गृहस्थाश्रममें प्रवेश करने के कुछ काल पश्चात् कुछ सांसारिक घटनाओंने इनके चित्तमें वैराग्यका अङ्कर लगा दिया । साधु-सेवामें अपना समय बिताने लगे और प्रायः सांसारिक व्यवहारोसे अलग हो गये। एक बार बृन्दावनके कुछ साधु उनके यहाँ आये। उनके भक्तिभावको देखकर मेहराज जी उनपर मुग्ध हो गये और उनके साथ साथ वृन्दावनको आये । उनकी पतिप्राणा स्त्री बाईजूराज भी उनके साथ आयीं। श्रीवृन्दावनमें आ कर इन्होंने प्रसिद्ध वैष्णव महात्मा स्वामी श्रीहरिदासजीके दर्शन किये और उन्हींके यहाँ रहने लगे। For Private And Personal
SR No.020463
Book TitleMaharaj Chatrasal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSampurnanand
PublisherGranth Prakashak Samiti
Publication Year1917
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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