SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 70
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir जातीय युद्धका भारम्भ। ५६ - संवत् १९३५ के लगभग इन्होंने पन्ना नगर बसाया । नगर बस जानेपर इनका परिवार प्रायः यहीं रहा करता था और ये स्वयं सेनाके मुख्य भागके साथ मऊमें, जो एक प्रकारसे छावनी हो गयी, रहा करते थे। अब इनकी अवस्थामें बहुत अन्तर हो गया था। इन लड़ाइयोंमें बार बार विजय प्राप्त करनेसे लोगोंमें इनकी धाक बैठ गयी थी । इनके सहायकों और अनुयायियोंकी सङ्ख्या नित्यप्रति बढ़ती जाती थी। बहुतसे संबंधी या हितेच्छु जो पहिले डर या शङ्काके कारण इनसे खुल कर न मिल सकते अब निर्भीक होकर इनसे श्राश्रा कर मिल रहे थे और जो लोग इनसे विरोध करना एक साधारण बात समझते थे वे अब इनको प्रसन्न करनेका प्रयत्न करने लगे थे। गाजीसिंह सिमरा, जामसाह, इन्द्रमणि, जगतसिंह, उग्रसेन, भारतसाह, गोपालमणि, उदयभानु, माधवराय, अमरसिंह आदि बड़े बड़े जागीरदार और प्रसिद्ध योद्धा सब इनकी ओर हो गये थे। __परन्तु भारतवर्ष में फूट और बैरकी प्रसिद्धी है। हमारे बड़े बड़े कामाको आपसके कलहने बिगाड़ दिया है। एक व्यक्ति दूसरेके अभ्युदयको देख नहीं सकता । व्यक्तिगत द्वेषकी यहाँतक वृद्धि की जाती है कि वह राष्ट्रगत हो जाता है। जयचन्द्रने पृथ्विराजको क्षति पहुँचानेकी चेष्टामें भारतवर्षका सत्यानाश कर दिया । बुन्देलखण्डमें ही ओरछावालोंकी अदूरदर्शिताने जातीय उन्नतिको कई बार भारी हानि पहुँचायी थी। इस बार बड़ी आशा की गयी थी कि देशकी सब शक्तियाँ शत्रुओंके विरुद्ध ही काममें लायी जा सकेंगी। स्वयं ओरछानरेशने देवमन्दिरमें भगवन्मूर्तिके सामने छत्रसालका साथ देनेकी शपथ For Private And Personal
SR No.020463
Book TitleMaharaj Chatrasal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSampurnanand
PublisherGranth Prakashak Samiti
Publication Year1917
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy