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चाक चक चमूके अचाक चक चहूँ ओर,
चाक सी फिरत धाक चम्पतके लालकी। भूषन भनत पातसाही मारि जेर,
कीन्हीं काहू उमराव ना करेरी करबालकी ॥ सुनि सुनि रीति बिरदैत बड़प्पनकी,
थप्पन उथप्पनकी बानि छत्रसालकी । जंग जीतिलेवा तै वै व्हेकै दामदेवा भूप, सेवा लागे करन महेवा महिपालकी ।
-भूषण
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