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परिशष्ट ।
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बाँदा। इसका इतिहास पहिले ही दिया जा चुका है । यह प्रान्त पेशवाने छत्रसालसे पाया था और इसपर उनके पुत्र अली. बहादुरका ( जो मस्तानी वेश्यासे पैदा हुए थे) अधिकार दुआ । सन् १८५७ के विद्रोहके पीछे बाँदाके नवाब कुछ पेंशन देकर इन्दौर भेज दिये गये।
झाँसी। इसमें कुछ भाग छत्रसालके राज्यका था और कुछ मरहठोंने ओरछासे लड़कर लिया था। यह शिवराम भाऊके वंशजोंके अधिकारमें रहा । यहाँको अन्तिम स्वामिनी प्रसिद्ध रानी लक्ष्मी बाईजी थीं जिन्होंने सन् १८५७ के विद्रोहमें पुरुषोपम वीरताका परिचय देकर प्राणत्याग किया। अब यह राज्य अंग्रेजी शासनमें है।
सागर दमोह आदि । ये जिले भी महाराज छत्रसालने पेशवाको दे दिये थे और मरहठोसे अँग्रेजोंके हाथ आये। जिस समय बुन्देलखण्डमें अंग्रेजोंने पैर रक्खा उस समय इन सब राज्योंकी अवस्था बड़ी शोचनीय थी। इनमेसे अधिकांशको अँग्रेजाने ही सर्वनाशसे बचालिया । इनकी हीन दशाका यही प्रमाण है कि इनमेंसे एक भी प्रथम वर्गका राज्य ( Treaty State ) नहीं गिना जाता ये सब द्वितीय वर्गमें (Sanad states) हैं।
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