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________________ Mahavir Jain Anna Kendi Acharya sun Kalnasagarnuncyanmandir चरित्रम कुथुनाथ । त्रिविंशतिसहस्राणि साईसप्तशतानि च ॥ विहृत्य वत्सराणां च श्रीकुंथुर्वसुधातले ॥ १४ ॥ ॥१०॥ समेतशैलशिखरे माप्ति कार्तिकनाम्नि च ॥ शशिकृत्तिकयोर्योगे महोदयमथागमत् ॥ ४५ ॥ एवी रीते श्रीकुथुस्वामी ग्रेवीशहजार, सातसो अने पचाशवर्ष सुधी पृथ्वीपर विहार करी समेतपर्वतना शिखर उपर कार्तिकमासमां चंद्र अने कृत्तिकाना योगमा अर्थात् पूर्णिमाने दिवसे निवार्णने प्राप्त थया. ॥ ४४ ॥ ४५ ॥ निर्वाणमहिमा चक्रे स सर्षमसुरामरैः ॥ बहवः साधवः स्वामिसार्द्ध सिद्धिपुरीं ययुः ॥ ४६ ।। अर्थः-ऋषिओ, देवो अने असुरोए पण एोश्रीना निर्वाणनो महिमा गायो अने घणा साधुओ ए स्वामीनी साथे सिद्धिपुरीमां गया. ततः कोटिशिलायां च जिन कुंथोरनुक्रमात् ॥ साधुकोटियुता अष्टाविंशतिर्युगपुरुषाः ॥४७॥ अर्थः-ते पटी जिनेश्वर कुथुस्वामीनी पाछळ अट्ठावीश युगपुरुषो करोडो साधुओनी साये कोटिचिलापर गया. ॥ ४७ ।। ॥ इतिश्री ऋषिमंडलवृत्ती प्रथमखंडे श्रोकुंथुनाथचरित्रं समाप्तम् ॥ ॥ आ ग्रंथ श्रोशुभवर्धनगणिजीए रचेली ऋषिमंडलनामनी टीकामांथो ओधरी स्वपरना श्रेयने माटे पोताना श्रीजेनभास्करोदय प्रेसमा छापी प्रसिद्ध करेल छे ॥ श्रीरस्तु ॥ 134584-% ॥१०॥ For Private And Personal Use Only
SR No.020452
Book TitleKunthunath Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShubhvardhan Gani
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1930
Total Pages12
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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