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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 338 [कर] शंकर, महादेव, शिवंकर। (मो.६) -कुमार पुं [कुमार] शिवकुमार, एक मुनि का नाम। (भा.५१) -पुरि स्त्री [पुरी] शिवपुरी, मुक्तिधाम। पंथिय सिवपुरिपंथं । (भा.६) - भूइ पुं [भूति] शिवभूति, एक मुनि विशेष| णामेण य सिवभूई। (भा.५३) -मग्ग पुं न [मार्ग] शिवमार्ग, मुक्तिपथ। वट्टइ सिवमग्ग जो भब्वो। (सू.२) -सुह न [सुख) मोक्ष सुख, मुक्ति सुख। दिव्वसिवसुहभायणो होइ। (भा.६५) सिवण/सिविण पुं न [स्वप्न] स्वप्न। सिविणे वि ण रुच्चइ। (मो.४७) सिसु पुं न [शिशु] बालक, पुत्र। (भा.४१) -काल पुं काल बाल्यकाल, बचपन। सिसुकाले य अमाणे। (भा.४१) सिस्सपुंस्त्री शिष्य] विद्यार्थी, शिष्य। (प्रव.चा.४८,द.२) उवइट्ठो जिणवरेहिं सिस्साणं। (द.२) -ग्गहण न [ग्रहण] शिष्यों को स्वीकारना, शिष्य बनाना। सिस्सग्गहणं च पोसणं तेसिं। (प्रव.चा.४८) सिंहाण पुं न दि] श्लेष्म, नाक का मल, कफ। सिंहाण खेलसेओ। (बो.३६) सिहि पुं [शिखिन्] अग्नि, आग। चिरसंचियकोहसिहं। (भा.१०९) सीयल पुं शीतल] 1. शीतलनाथ, दसवें तीर्थङ्कर। (ती.भ.४) 2. वि [शीतल] ठण्डा, शीतल। णाणमय विमलसीयलसलिलं। (भा.१२४) सील पुं [शील] सदाचार, सच्चरित्र। (स.२७३, निय.११३, For Private and Personal Use Only
SR No.020450
Book TitleKundakunda Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherDigambar Jain Sahitya Sanskriti Sanskaran Samiti
Publication Year
Total Pages368
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size9 MB
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