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246 मलदायक। (मो.४८)-पुंज पुंन [पुज] मलसमूह,मल का ढेर। (सू.६) -मेलणासत्त वि [मेलनासत्व] पापसमूह को नष्ट करने वाला। (स.१५७-१५९) -रहिअ वि [रहित] मलरहित, पापरहित। (मो.६) मलिण वि [मलिन] मैला, पाप युक्त। (पंचा३४, चा.१७) मल्लि पुं [मल्लि] उन्नीसवें जिनदेव का नाम, मल्लिनाथ।
(ती.भ.५) मसय पुं [मशक] मच्छर। (पंचा.११६) मसाण न [श्मशान] मशान, मरघट! (बो.४१) -वास पुं [वास]
श्मशान में रहना। (बो.४१) मह वि [महत्] महान्, श्रेष्ठ। (पंचा.७१, प्रव.९२) -त्य वि [अर्थ महार्थ, श्रेष्ठ अर्थ। (प्रव.जे.१००) -प्प पुं [आत्मन्] महात्मा। (प्रव.९२, पंचा.७१) -रिसि' [ऋषि] महर्षि । (बो.५) - व्वय पुं न [व्रत] महाव्रत। (चा.३१) महल्ल वि दि] महान्, श्रेष्ठ। (चा.३१) साहति ज महल्ला।
(चा.३१) महा वि [महत्] बड़ा, महान। (भा.१२, पंचा.१०५, शी.६) -जस पुं [यशस्] महान् यश। (भा.१८)-दुक्ख पुंन [दुःख] बहुत दुःख, अत्यधिक दुःख। (भा.२७) -णरय पुं [नरक] महानरक, सातवां नरक। (भा.८८) -णुभाव पुं [अनुभाव] महानुभाव। (भा.५३) -फल पुं न [फल] महाफल, विशाल फल। (शी.६) -वसण न [व्यसन] बहुत दुःख। (भा.१०१) -वीर वि [वीर] अधिक
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