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का एक भेद। (चा.२२, २६)
फड पुं न [स्पर्ध] अंश, भाग, हिस्सा। (स.५२) -य पुं न [क]
स्पर्धक, अनुभाग का समूह। फण पुं [फन]सांप का फणा। (भा.१४४)-मणि पुं स्त्री [मणि]
फणामणि, फणा में स्थित मणि, नागमणि। (भा.१४४) फणि पुं [फणिन्] सर्प,नाग। (भा.१४४)-राअ पुं राजन्] नागेन्द्र,
सर्पराज, शेषनाग । जह फणिराओ सोहइ। (भा.१४४) फरिस पुंन [स्पर्श] स्पर्श, छूना।। फरुस वि [परुष] कर्कश, कठोर। फल अक [फल] फलना,पल्लवित होना। (प्रव.चा.५७) फलदि
कुदेवेसु मणुजेसु। (प्रव. चा.५७) फलदि (व.प्र.ए.) फल पुं न [फल] 1. वृक्ष का फल। (स.१६८) पक्के फलम्हि पडिए। 2. कारण। (स.३१९,पंचा.१३३, मो.३४) जाणइ पुण कम्मफलं। 3. लाभ। (प्रव.४५) पुण्णफला अरहंता) 4. कार्य। (स.७४, निय.२) दुक्खा दुक्खफला। फलिह पुं [स्फटिक स्फटिक, मणिविशेष। (मो.५१) -मणि पुंस्त्री
[मणि] स्फटिकमणि। (मो.५१) जह फलिहमणिविसुद्धो। फास सक [स्पृश्] स्पर्श करना,छूना । (पंचा.१३४)मुत्तो फासदि मुत्तं।
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