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203 पडिसरण न [प्रतिसरण] प्रतिसरण, उल्टा चलना। (स.३०६,
स.ज.वृ.३०७) पडिसिद्ध वि [प्रतिषिद्ध] निषिद्ध, निवारित। (स.२७२) पडिहार पुं [प्रतिहार] 1. प्रतिहार, पर्दा। (स.३०६) 2. दरवाजा,
फाटक पाडिहार पुं [प्रतिहार प्रतिहार्य] 1. दरबान, द्वारपाल। 2.
प्रातिहार्य, अष्ट प्रातिहार्य। (बो.३१) पडुच्च अ प्रतीत्य] आश्रय करके, अवलम्बन करके, अपेक्षा करके। (पंचा.२६, स.२६५, प्रव.५०) कम्मं पडुच्च कत्ता। (स.३११) पढ सक [पठ्] पढ़ना,अभ्यास करना । (स.४१५)जो समय
पाहुडमिणं पढिदूणं अत्थ तच्चदो गाउं। पढइ (व.प्र.ए.मो.१०६) पढम वि [प्रथमा] पहला, आद्य। (भा-११४, चा.८) पढमं
सम्मतचरणचारित्तं (चा ८) पढिअ/पढिद वि [पठित] पढ़ा गया,कहा गया,कथित,
प्रतिपादित। (पंचा.५७, भा.५२) पण त्रि [पञ्चन्] पांच, संख्या विशेष। ववगदपणवण्णरसो।
(पंचा.२४) पणट्ट वि [प्रनष्ट] नष्ट हुआ। (बो.५२, भा.१२८, प्रव. जे.११) पणद वि [प्रणत] नमस्कार करता हुआ। (प्रव.चा.३)समणेहि तं
पि पणदो। पणम सक [प्र+नम्] नमन करना, नमस्कार, प्रणाम करना।
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