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162 णिरहंकार वि [निरहंकार घमण्ड रहित, मृदुता, अहंकार का
अभाव। (बो.४८) णिराउह वि [निरायुध] शस्त्रहीन, शान्तचित्त । (बो.५०) णिरायार वि निराकार] आकृति रहित, निर्दोष। (सू.१९)
परिगहरहिओ णिरायारो। (चा.२१) णिरालंब वि [निरालम्ब] आश्रय रहित। (निय.४३) णिरावेक्ख वि [निरपेक्ष] अपेक्षा रहित, निःस्पृह, इच्छारहित। पांच महाव्रतों से युक्त, पञ्चइन्द्रियों को वश में करने वाला निरपेक्ष, निःस्पृह होता है। (बो.४३, ४७) व्रत एवं सम्यक्त्व से विशुद्ध पञ्चेन्द्रियसंयत इस लोक तथा परलोक सम्बंधी भोग-परिभोग से निःस्पृह होता है। (बो.२५)वयसम्मत्तविसुद्धे, पंचेदियसंजदे णिरावेक्खे। (बो.२५) णिरास वि [निराश] आशा रहित, तृष्णा रहित, उदासीन।
(बो.४६) -भाव पुं [भाव] निराशभाव। (बो.४९) णिरुंभ सक [नि+रुध्] निरोध करना, रोकना। णिरंभित्ता (सं. कृ.
प्रव.जे.१०४) णिरुच्च सक [निर्+वद्] कहना, बोलना। (द्वा.३९) णिरुवम वि [निरुपम] उपमा रहित, असाधारण, अनुपमेय।
(बो.१२,२८) णिरुवलेव वि [निरुपलेप] लेप रहित, बन्ध रज से रहित।
(प्रव.चा.१८) कमलं व जले णिरुवलेवो। णिरुवभोज्ज वि [निरुपभोग्य] भोग्य से रहित, आसक्ति रहित,
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