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परमजिणो, सिवंकरो सासओ सिद्धो।। (मो.६) -अवमद वि [अवमत] जिनकथित। (स.८५) -आणा स्त्री [आज्ञा] जिनेन्द्र देव की आज्ञा। (भा.९१) -इंद पुं [इन्द्र] जिनेन्द्र। (प्रव.चा. ४८) -उवएस/उवदेस पुं [उपदेश] जिनेन्द्र द्वारा प्रतिपादन, सर्वज्ञ का। (स.१५०, निय.१७, प्रवं. १७, मो. १३) एसो जिणोवदेसो (स.१५०)-उत्तम वि [उत्तम] जिनोत्तम, सर्वज्ञ। (पंचा.३) -कहिय वि [कथित सर्वज्ञ द्वारा कथित, सर्वज्ञ द्वारा प्रतिपादित। जिणकहियपरमसुत्ते। (निय.१५५) -क्खाद वि [ख्यात] जिनकथित, सर्वज्ञ कथित। (प्रव. चा. ६४) -णाण न [ज्ञान]सर्वज्ञ का ज्ञान। जिणणाणदिट्टिसुद्धं । (चा.५)-दसण न [दर्शन] जिनदर्शन। जिणदंसणमूलो। (द.११) -देव पुं दिव] जिनदेव, वीतराग प्रभु। (मो.३०) -धम्म पुन [धर्म] जिन धर्म। (भा.८२) -पडिमा स्त्री [प्रतिमा] जिन प्रतिमा, जिनमूर्ति (बो.३) -पण्णत्त वि प्रज्ञप्त] जिनदेव प्रतिपादित, कथित (भा.६२, मो.१०६) एवं जिणपण्णत्तं। (द.२१) -भणिय वि [भणित] सर्वज्ञकथित। (चा.६, सू.५) -भत्ति स्त्री [भक्ति] जिनेन्द्रभक्ति, जिनभक्ति। तं कुण जिणभत्तिपरं। (भा.१०५) -भवण न [भवन] जिनालय। (बो.४२) -भावण पुं भावन जिनचिंतन । जिणभावण भविओ धीरो। (भा.१२९) -भावणा स्त्री [भावना] जिनेन्द्र प्रणीत भावना, जिनेन्द्रकथित चिंतन । भावहि जिणभावणा जीवा। (भा.८) -भासिद वि [भाषित] जिनेन्द्र कथित। उवसंतखीणमोहो,मग्गं जिणभासिदेण समुपगदो।
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