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शासनपति - श्रीमहावीरस्वामिने नमः ।
कुलिङ्गिवदनोद्गार - मीमांसा ।
( भाग - पहला )
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(पिशाचपंडिताचार्य की कुयुक्तियों का वास्तविक उत्तर) चिबुधवृन्दविवन्दितवन्द्यपद् विहितभक्तिविभञ्जितभूविपत् । भवपिशाच कुपूरुषबोधक्रुद् विजयतां प्रभुवीर सुशासनम् ॥ १ ॥
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चमत्कार
" संसार चमत्कार पूर्ण है, इसमें अनेक अजब-गजब चमकार भरे हुए है, कमी है तो केवल चमत्कारी पुरुषों कीं । लाखों पुरुषों के बीच में चमत्कारी पुरुष कहीं कहीं इनेगिने दृष्टिगोचर होते हैं और उनके दिखलाये हुए एक एक चमत्कार भी दुनियां में जादुई असर पैदा करते हैं | चमत्कार वही सच्चा माना जा सकता है, जिसके देखने मात्र से सभ्य-संसार में आनंद और श्रीवीरप्रभु के शासन से बहिष्कृत कुलिंगी अपवादी संसारमें खलभलाट उत्पन्न हो जाती हो ।
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संसार के अनेक चमत्कार दर्शक ग्रन्थों में से पीतपटाग्रह-मीमांसा नामका चमत्कार पूर्ण एक छोटासा ग्रन्थ है । जिसमें
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