SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 29
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org -२७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ट्रस्टी के रूप में इसका प्रबन्ध करने लगी । यही व्यवस्था राज्य के रुप में चलती हुई इस समय राजस्थान सरकार के देवस्थान विभाग द्वारा हो रही है । फलस्वरुप यह मन्दिर सेल्फ सपोर्टिंग ( श्रात्म निर्भर) माना गया है । यदि जैन समाज संगठित होकर प्रयत्न करे तो मन्दिर समाज को सुव्यस्था में आ सकता है, क्योंकि यह जैन मन्दिर है। देवस्थान जो कि ट्रस्टो की हैसियत से तीर्थ का संरक्षण कर रही है, जैन समाज के प्रति पूर्णतः उत्तरदायी है । ऋषभदेव का तीर्थ भारत के पश्चिमी भाग में स्थिति राजस्थान प्रान्त के दक्षिणी भाग में उदयपुर नगर से ४१ माइल दूर एक ऊंची पहाडी पर कुंवारिका नदी से वेष्ठित सुशोभित हो रहा हैं। गांव का विकास मन्दिर के प्रागे हुआ हैं । अतः बारा गांव तीर्थं की वन्दना करता हुआ सा प्रतीत होता हैं इस क्षेत्र पर सहस्त्रों यात्री प्रति वर्ष दर्शनार्थ आया करते हैं, अतः उनकी सुविधा के लिये तीन धर्मशालाएं बनी हुई हैं। गांव में पानी का यथेष्ट प्रबन्ध हैं। यात्रियों की सुविधा के लिए यातायत की भी सुव्यवस्थित प्रबन्ध हैं । For Private and Personal Use Only
SR No.020442
Book TitleKesariyaji Rushabhdev Tirth Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMotilal Marttand
PublisherMahavirprasad Chandanlal Bhanvra Jain
Publication Year1987
Total Pages52
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy