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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री कल्पसूत्र हिन्दी चौथा व्याख्यान अनुवाद ||44|| 5से सुन्दर अंगवाला, चंद्र समान मनोहर आकृतिवाला, प्रिय, प्रियदर्शनी और सुन्दर रुपवाला; ऐसे पुत्र को जन्म देओगी । तथा वह पुत्र बाल्यावस्था को त्याग कर परिपक्व विज्ञानवाला होकर यौवनावस्था के प्राप्त होने पर दानादि देने में शूर, संग्राम में वीर, परराज्य पर आक्रमण करने में समर्थ, अधिक विस्तार युक्त सेना तथा वाहनवाला और चारों दिशाओं का स्वामी चक्रवर्ती राज्यवर्ती राज्यपति राजा होगा या तीन लोक का नायक धर्मश्रेष्ठ, चार गति का नाश करनेवाला में धर्मचक्रवर्ती जिनेश्वर होगा। जिनत्व प्राप्त होने पर चौदह स्वप्नों का जुदा जुदा फल नीचे मुजब समझना चाहिये । चार दांतवाला हाथी देखने से वह चार प्रकार का धर्म कथन करेगा । वृषभ को देखने से वह इस भरतक्षेत्र में बोधिरूप बीज को बोवेगा । सिंह के देखने से वह कामदेवादिक जो उत्मत्त हाथी हैं. जिन से भव्यजनरूपी वन भंग होता है उन्हें मर्दन कर उसका रक्षण करेगा । लक्ष्मी देखने से वार्षिक दान देकर तीर्थकर पद की लक्ष्मी को भोगेगा । माला देखने से तीन भवन को मस्तक में धारन करने योग्य होगा । चन्द्रमा देखने से भव्य समूह रूप चंद्रविकासी कमलों को विकसित करेगा । सूर्य देखने से कान्ति के मंडल से भूर्षित प्रगहोगा । ध्वज को देखने से वह धर्मध्वज से विभूषित होगा । कलश देखने से धर्मरूपी महल के शिखर पर रहेगा । पद्म सरोवर देखने से देवताओं द्वारा संचारित किये हुए कमलों पर वह विचरेगा । समुद्र को देखने से वह केवलज्ञानरूप रत्नाकर के स्थान समान होगा । देव विमान देखने से वह वैमानिक देवताओं का पूजनीय होगा । रत्नराशि Felimelonel For Private and Personal Use Only
SR No.020429
Book TitleKalpasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipak Jyoti Jain Sangh
PublisherDipak Jyoti Jain Sangh
Publication Year2002
Total Pages328
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Paryushan, & agam_kalpsutra
File Size18 MB
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