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प्राप्त होती है । एवं उस मनुष्य का जन्म शुक्लपक्ष में हुआ समझना । जिस पुरुष की आंखों में लाली होती है उसे स्त्री बहुत चाहती है । जिसकी आंखें सुवर्ण के समान पीली होती हैं उसके पास द्रव्य रहता है । जिसके हाथ लंबे होते हैं उसे ऐश्वर्य नहीं छोड़ता । जिसका शरीर मोटा ताजा होता हैं उसे सुख नहीं छोड़ता । यदि नेत्रों में
विकास हो तो वह सौभाग्यशाली होता है । यदि दांतों में चिकास हो तो उसे श्रेष्ठ भोजन मिलता है । यदि शरीर * चिकना हो तो सुख मिलता है । यदि पैर चिकने हो तो वाहन मिलता है । जिस की छाती विशाल होती है वह व धन धान्य का भोगी होता है । जिस का मस्तक विशाल हो वह राजादि महान् पुरुष बने । जिस का कटिभाग विशाल
हो वह बहुत स्त्रीपुत्रों वाला होता है और जिसका पैर विशाल हो वह भी सुखी होता है । इस प्रकार लक्षणों को Xजानना चाहिए ।
शरीर पर जो मस्से-तिल आदि होते है उन्हें व्यंजन कहते हैं । उपरोक्त लक्षण और व्यंजनों से युक्त, वह कुमार होगा । तथा वह मान और उन्मान के प्रमाण से युक्त होगा । एक जल से भरे कुंड में पुरूष को प्रवेश, न कराया जाय उस वक्त जो पानी बाहर निकल जाय वह पानी द्रोण प्रमाण हो तब वह पुरूष मान प्राप्त कहा जाता
है । यदि तराजू पर अर्ध भार मानवाला हो तो वह उन्मान प्राप्त होता है । भारका प्रमाण नीचे की विधि से समझना चाहिए-6 सरसव के दानों का एक यव (जौं). तीन यव की एक रत्ती (चनोटी), तीन रत्ती का एक वाल. सोलह वाल का एक गयाणा दश गद्याणों का एक पल और डेढ़ सौ गद्याणों का एक मण होता *
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