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श्री कल्पसूत्र हिन्दी
आठवा
व्याख्यान
अनुवाद
1113911
* भद्रगुप्त, श्रीगुप्त और वजसूरीश्वर ये दश दशपूर्वी युगप्रधान हए हैं । 1. गौतम गोत्रीय स्थविर आर्यवज से आर्यवजी शाखा निकली । गौतम गोत्रीय स्थविर आर्यवज के
तीन स्थवीर शिष्य पुत्र समान प्रसिद्ध थे । स्थविर आर्यवजसेन, स्थविर आर्यपद्म और स्थविर आर्यस्थ । स्थविर आर्य वजसेन से आर्य नागिला शाखा निकली, स्थविर आर्य पद्म से आर्य पद्म शाखा निकली और स्थविर आर्य रथसे आर्य जयन्ती शाखा निकली । वच्छ गोत्रीय स्थविर आर्य रथ के - कौशिक गोत्रीय स्थविर आर्य पुष्पगिरि शिष्य थे । कौशिक गोत्रीय स्थविर आर्य पुष्पगिरि के गौतम,
गोत्रीय स्थविर आर्य फल्गुमित्र शिष्य थे । गौतम गोत्रीय स्थविर आर्य फल्गमित्र के वासिष्ट गोत्रीय 5 . स्थविर आर्य धनगिरि शिष्य थे । वासिष्ट गोत्रीय स्थविर आर्य धनगिरि के कुच्छ गोत्रीय स्थविर आर्य शिवभूति शिष्य थे । कुच्छ गोत्रीय स्थविर आर्य शिवभूति के काश्यप गोत्रीय स्थविर आर्य भद्र शिष्य थे काश्यप गोत्रीय स्थविर आर्यनक्षत्र शिष्य थे । काश्यप गोत्रीय स्थविर आर्य नक्षत्र के काश्यप गोत्रीय स्थविर आर्यरक्ष शिष्य थे । काश्यप गोत्रीय स्थविर आर्य रक्षके गौतम गोत्रीय स्थविर आर्यनाग शिष्य थे । गौतम गोत्रीय स्थविर आर्यनाग के वासिष्ट गोत्रीय स्थविर आर्य जेहिल शिष्य थे । वासिष्ट गोत्रीय स्थविर आर्य जेहिल के माढर गोत्रीय स्थविर आर्य विष्णु शिष्य थे । माठर गोत्रीय
स्थविर आर्य विष्णु के गौतम गोत्रीय स्थविर आर्य कालिक शिष्य थे । गौतम गोत्रिय स्थविर आर्य 51 आज भी साधु-साध्वी की दीक्षा के समय यही शाखा बोली जाती है ।
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