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प्रथम वाचना कराई, उस आनन्दपुर की स्तुति कौन नहीं करता ?' 'वल्लहीपुरंमि नयरे' इत्यादि वचन से पुस्तक लेखनकाल तो उपरोक्त प्रसिद्ध ही है परन्तु तत्व केवली जाने । इति श्रीवीरचरित्र ।
श्री कल्पसूत्र हिन्दी
सातवां
व्याख्यान
अनुवाद
||10011
सीसी
सातवां व्याख्यान.
श्री पार्श्वनाथ भगवान् का जीवन चरित्र । अब जघन्य, मध्यम और उत्कृष्ट वाचना द्वारा श्रीपार्श्वनाथ प्रभु का चरित्र कहते हैं। 5 उस काल और उस समय में पुरूषप्रधान अर्हन् श्रीपार्श्वनाथ प्रभु के पांचों कल्याणक विशाखा नक्षत्र में हए ।
विशाखा नक्षत्र में प्रभु स्वर्ग से च्यवकर माता के गर्भ में उत्पन्न हुए, विशाखा नक्षत्र में प्रभु का जन्म हुआ. n विशाखा नक्षत्र में ही घर का त्याग कर पंच मुष्टि लोच करके प्रभु ने दीक्षा ग्रहण की । विशाखा नक्षत्र में ही प्रभु - अनन्त, अनुपम, नियाघात, निरावरण, समन और परिपूर्ण केवलज्ञान एवं केवलदर्शन पाये और विशाखा नक्षत्र * में ही प्रभु मोक्ष सिधाए ।
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