________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
श्री कल्पसूत्र
हिन्दी
अनुवाद
115411
40 500 500 5000
www.kobatirth.org
बैठ कर गीत गान होते हुए इंद्र वहां से चल पड़ा । पालक विमान के सिवा अपने-अपने विमानों द्वारा और भी बहुत से
.
पड़े । उन मे कितनेक तो इंद्र की आज्ञा से, कितनेक मित्रों की प्रेरणा से, कितनेक अपनी पत्नी की प्रेरणा से, कितनेक तमाशा देखने की भावना से कई एक आश्चर्य देखने के लिए कई एक आत्मीय भाव से और कई एक भक्तिभाव
.
है कि
1
से चल दिये । उस समय अनेक प्रकार के बाजों के शब्द से, घंटों के नादों से देवताओं के कोलाहल से सारा ब्रह्माण्ड गुंज उठा । सिंहाकृतिवाले विमान पर बैठा हुआ देव हाथी पर बैठे हुए देव को कहता है कि भाई ! अपने हाथी को दूर बचा ले वरना दुर्धर मेरा केशरीसिंह इसे मार डालेगा । इसी तरह भैंसे पर बैठा घोड़े सवार को, गरूड़ पर बैठा हुआ सर्प वाले को और चीते पर बैठा हुआ बकरे वाले को सादर कहता है । उस समय करोड़ों देव विमानों से विशाल आकाश भी संकीर्णता हो गया । कितनेएक देव उत्सुकता से मित्र को छोड़ कर आगे बढ़ रहे थे, कितनेक कहते थे कि भाई ! जरा ठहरो हम भी आते हैं, कइएक कहते थे कि भाई ! पर्व के दिन संकीर्ण ही होते हैं इस लिए चुपचाप चले आओ। इस प्रकार आकाश मार्ग से गमन करते देवों के सिर पर चंद्रमा की किरणें पड़ने से वे वृद्ध जैसे शोभते थे । देवों के मस्तक पर रहे तारे घड़ों से लगते थे, गले में रत्नों के कंठे जैसे शोभते थे और शरीर पर पसीने के बिन्दु सरीखे शोभते थे। इस तरह इंद्र नन्दीश्वर द्वीप में विमान को संक्षेप कर वहां आया। भगवंत तथा उन की माता को तीन प्रदक्षिणा दे कर हे रत्नकुक्षि ! जगत में दीपिका समान माता ! आप को नमस्कार
नमस्कार करता है और कहता
-
For Private and Personal Use Only
40 500 40 500 5000
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
पांचवा
व्याख्यान