________________
Shri Maharan Aradhana Kendra
www.kobatirtm.org
Acharya Shri Kalassagarsun Gyarmandie
तो अर्ध चक्री होवे, छह उच्च हों तो चक्रवर्ती और सात ग्रह उच्च हों तो वह तीर्थंकर होता है । - इस प्रकार उच्च चंद्रमा का योग आने पर, दिशाओं के सौम्य होने पर, अन्धकारादि से रहित होने पर, क्यों
कि प्रभु के जन्म समय सर्वत्र उद्योत होता है । तथा रज, दिग्दाह आदि से रहित होने पर, तथा काक, उल्लू, दुर्गा ॐआदि के जयकारक शकुन होने पर, तथा दक्षिणावर्तवाले और अनुकूल सुगन्धित शीतल सुखावह पृथ्वी को स्पर्श 5
करते हुए, मन्द पवन के चलते हुए तथा जब पृथ्वी पर चारों और खेती लहरा रही थी और देश में सर्वत्र सुकाल था। अतः सुकाल होने से देश के लोग खुशी में मग्न हो कर जब वसन्तोत्सवादि की क्रीड़ा में लग रहे थे तब अपर रात्रि के समय उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के साथ चंद्रमा का योग आने पर बाधा रहित नवमास साडासात दिनपूर्ण होने पर त्रिशला क्षत्रियाणी ने पीड़ा रहित पुत्र को जन्म दिया ।
चौथा व्याख्यान समाप्त हुआ ।
For Private and Personal Use Only