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कुमारसंभव
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हरितारुण चारु बंधनः कलमुस्कोकिल शब्द सूचितः। 4/14 सुंदर, हरे और लाल रंग में बंधा हुआ और कोकिल की मीठी कूक से गूंजता हुआ। तदीषदादरुणगंड लेखमुच्छ् वासि कालांजन रागमक्ष्णोः। 7/82 पार्वती जी के गाल कुछ लाल हो गए, मुँह पर पीसने के बूंदे छा गईं, आँखों का काला आँजन फैल गया। दूरमग्र परिमेय रश्मिना वारुणी दिगरुणेन भानुना। 8/40 हे सुन्दरी! बहुत दूर पर सूर्य की हल्की सी झलक दिखाई पड़ने से लाल पश्चिम
दिशा। 2. कषाय :-पुं० क्ली० [कषति कण्ठम्, कष+आय] लाल रंग।
स प्रजागर कषाय लोचनं गाढदंत परिताडिता धरम्। 8/88 रात भर जागने से पार्वती जी की आंखें लाल हो रही थीं, ओठों पर शिवजी के
दाँतों के घाव भरे पड़े थे। 3. ताम्र :-पुं० क्ली० [ताम्यते आकाङ्क्षयते इति। तमु का ङ्क्षायाम् अमितम्यो
दीर्घश्च' इति रक् उपाधाया दीर्घश्च] लाल रंग। ततो ऽनुकुर्याद्विशदस्य तस्यास्ताम्रौष्ठपर्यस्तरुचः स्मितस्य। 1/44 उनके लाल-लाल ओठों पर फैली हुई उनकी मुस्कुराहट का उजलापन ऐसा सुन्दर लगता था। तस्याः करं शैलगुरूपनीतं जग्राह ताम्रांगुलिमष्टमूर्तिः। 7/76 तब हिमालय के पुरोहित ने पार्वती जी का हाथ आगे बढ़ाकर शंकर जी के हाथ
पर रख दिया। पार्वती जी का वह लाल-लाल उँगलियों वाला हाथ। 4. रक्त :-पुं० वि० [रञ् करणे + क्त] लोहित, लाल रंग।
रक्तपीत कपिशाः पयोमुचां कोटयः कुटिलकेशि भांत्यमः। 8/45 हे धुंघराले बालों वाली! ये सामने लाल-पीले और भूरे बादल के टुकड़े फैले
हुए ऐसे लग रहे हैं। 5. राग :-पुं० [रञ्जनमिति, रज्यतेऽनेनेति वा । रञ् भावे घञ् नलोपकुत्वे] लाल
रंग। अभ्युन्नतांगष्ठन ख प्रभाभिर्निक्षेपणाद्रागमिवोग्दिरन्तौ। 1/33 जब वे चलती थीं तब उनके स्वभाविक लाल और कोमल पैरों के उठे हुए अंगूठों के नखों से निकलने वाली चमक को देखकर, ऐसा जान पड़ता था।
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