SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 418
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 883 ऋतुसंहार अगरुसुरभिधूपामोदितं केशपाशं गलितकुसुममालं कुञ्चिताग्रं वहन्ती। 5/12 अगरू के धुएँ में बसी हुई सुगंध वाली, अपनी बिना माला वाली घनी घुघराली लटों को थामे। 2. वास् - सुगंधित करना, सुवासित करना, गंध देना। शिरोरुहैः स्नानकषायवासितैः स्त्रियो निदाघं शमयन्ति कामिनाम्। 1/4 स्त्रियाँ अपने प्रेमियों की तपन मिटने के लिए अपने उन जूड़ों की गंध सुँघाती हैं, जो उन्होंने स्नान के समय सुगंधित फुलेलों में बसा लिए थे। कदम्बसर्जार्जुनकेतकीवनं विकम्पयस्तत्कुसुमाधिवासितंः। 2/17 कदंब, सर्ज, अर्जुन और केतकी से भरे हुए जंगल को कपाता हुआ और उन वृक्षों के फूलों के सुगंध में बसा हुआ। प्रकामकालागरुधूपवासितं विशन्ति शय्यागृहमुत्सुकाःस्त्रियः। काम से पीड़ित स्त्रियाँ काले अगरू के धुएँ से महकने वाले अपने शयन घरों में बड़े चाव से चली जा रही हैं। 3. सुवास् - सुगंधित करना, गंध देना। सुवासितं हर्म्यतलं मनोहरं प्रियामुखोच्छ्वासविकम्पितं मधु। 1/3 सुगंधित जल से भरा हुआ भवन का तल, प्यारी के मुँह की भाप से उफनाती हुई मदिरा। ईषत्तुषारैः कृतशीतहर्म्यः सुवासितं चारु शिरश्च चम्पकैः। 6/3 घरों की छतों पर ठंडी ओस छा गई है, चंपे के फूलों से सबके जूड़े महकने लगे सूर्य 1. अंशुमालिन् - [अंशू +कु + मालिन्] सूर्य, सूरज। विवस्वता तीक्ष्णतरांशुमालिनां सपङ्कतोयात्सरसोऽभितापितः। 2/18 प्रचंड सूर्य की तेज धूप से तपे हुए मेंढक, गँदले जल वाले पोखरे से बाहर निकल-निकलकर। For Private And Personal Use Only
SR No.020427
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages441
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy